गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – लगाए बहुत साल याँ आते आते

लगाए बहुत साल याँ आते आते,
रुला ही दिया क़द्र-दाँ आते आते।

बहुत थक गए हम रह-ए-ज़िन्दगी में,
थकीं पर न दुश्वारियाँ आते आते।

घुटी साँस ज्यूँ ही गली आई उनकी,
न मर जाएँ उनका मकाँ आते आते।

करें याद गर वो ज़रा भी नहीं ग़म,
निकल जाए दम हिचकियाँ आते आते।

बड़ी गर्मजोशी से दावत सजी थी,
हुआ ठंडा सब मेज़बाँ आते आते।

बताऐँ तुझे क्या ए ख्वाबों की मंज़िल,
कहाँ पहुँचे थे हम यहाँ आते आते।

‘नमन’ क्या बचा जो करें फ़िक्र उसकी,
लुटा कारवाँ पासबाँ आते आते।

(पासबाँ – रक्षक, चौकीदार)

— बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)