कविता

जिन्दगी क्या है

जिन्दगी तो प्रेम की एक गाथा है,
जिन्दगी भावुक प्रणय की छाँव है,
जिन्दगी है वेदना की वीथिका सी
जिन्दगी तो कल्पना की छुवन भर है।

जिन्दगी है चन्द सपनों की कहानी,
जिन्दगी विश्वास के प्रति सावधानी,
जिन्दगी इतिहास है निर्मम् समय का
जिन्दगी तो आँसुओं की राजधानी।

जिन्दगी तो लहलहाती फसल सी है
जिन्दगी कल्पनाओं के सुनहरे महल सी है
जिन्दगी तो कामनाओ का घुटन भर है
जिन्दगी तो कल्पना की छुअन भर है।

जिन्दगी तो एक स्वप्न सा सुहावना है
जिन्दगी का नाम ही सम्भावना है
लोग कुछ भी कहे इस जिन्दगी को
पर जिन्दगी तो मौत की ही प्रस्तावना है।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171