कविता

दीपावली पर दो रचनाएं

1. दीपावली

मन मंदिर को पावन कर जाओ,
राग द्वेष के तम को हर जाओ।
भाईचारे की अलख जगा कर,
खुशियों के फिर दीप जलाओ।
 नव दीपक की नवल ज्योति से,
जाति धर्म का कलुष भगाओ।
सब पर प्रेम सुधा बरसा कर,
खुशियों के फिर दीप जलाओ।
अमीर गरीब का भेद हटाओ,
सबको अपना मीत बनाओ।
अनार ,पटाखे ,फुलझड़ी जलाओ,
खुशियों के फिर दीप जलाओ।
2. आई दीवाली
मिट्टी के दीपों की माला,
जगमग जगमग जग कर डाला।
टिम टिम तारों से धरा सज गई,
दिवाली का त्योहार है आया।
लक्ष्मी गणेश का पूजन कर लें,
खील खिलौने अर्पण कर दें।
देवों के आशीष को पाकर,
सुख समृद्धि से आंचल भर लें।
इस दिवाली कुछ ऐसा कर जायें,
झोपड़ियों को भी रोशन कर आएं।
सूनी,सहमी आंखों में जाकर,
खुशियों के दीप जलाकर आएं।
— कल्पना सिंह

*कल्पना सिंह

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