गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

एक नगर में आबो दाना कब होता है
बंजारों का ठौर ठिकाना कब होता है

जाते हैं सब लोग गुलों वाले मौसम में
बगिया में पतझर में जाना कब होता है

खुशहाली में साथ निभाता है हर कोई
कंगाली में साथ ज़माना कब होता है

जिनके अपने छोड़ गये अपनों को तनहा
उनके दिल का दर्द पुराना कब होता है

पगडंडी पर पैदा होते पलते हैं जो
उनकी किस्मत में सुख पाना कब होता है

मेरा हाल वही है अब भी, जैसा कल था
ग़म का ख़ुशियों से याराना कब होता है

हाथ मिले हाथों से लेकिन वो भी रस्मन
दिल से अब दिल का मिल पाना कब होता है

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.