कविता

दीप जलाओ प्यार के

दीप जलाओ प्यार के

घर आँगन उजियार हो
तन और मन प्रफुल्लित
महकी महकी बयार हो
प्यार की महके फुलवारी
दूर नफरत का अंधकार हो
प्रेम रतन धन सबको मिले
आप सब पर महा लक्ष्मी
शुभ लक्ष्मी की कृपा अपार हो
मन से मन के दीप जले
खुशियों से खुशियां मिले
उज्जवल भविष्य स्वस्थ मन
आपके घर माँ लक्ष्मी का आगमन
एक बार नहीं बारंबार हो
रौशनी की जगमगाहट हो
प्रेम प्यार खुशी की आहट
ऐसा खूबसूरत सुंदर सबका
खुशियों से सजा त्योहार हो
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश