कहानी

रामबदन की उलझनों का कर्ज

पथिक अपने पथ पर वेहिचक चला जा रहा था। काली सनसनाती रात सूनसान सडक विरानों की सन्नाटा के बीच वह निर्भीक चल रहा था। दरअसल उसे रात दो बजे तक मील में ड्यूटी पकड़नी थी।गाँव से मील की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है आज उसकी नाईट सिफ्ट थी।घर से वह देर से निकला इसलिए रात ज्यादा हो गई ।शहर में रह नही सकता क्योंकि शहर के खर्चे ज्यादा हैं। मीलो की तनख्वाह से तो गाँव में भी गुजारा किसी तरह होता है फिर शहर का कैसे सोचें यही सब सोचता हुआ रामबदन दूर शहर के लाल पीली बत्तियों को देखता हुआ उस अन्धेरी रातो में पैदल चला जा रहा था।
             रामबदन एक नेक इन्सान था। उसके घर में सभी लोग अच्छे और विचारवान थे।एक चीज की कमी थी कि वह गरीब था।उसके दो बेटे और एक बेटी थी । दीपावली आने वाली थी। सभी बच्चों की अलग अलग फरमाइशें थी इन्ही गुणधुन में उलझा रामबदन दीपावली का खर्च का इन्तजाम कैसे होगा सोच रहा था।अभी तो वो मैनेजर को कह भी नही सकता क्योंकि दशहरा पर उसने एडवांस ले लिए थे।जब तक एक रकम चुक नहीं जाती तबतक एडवांस मिलना मुश्किल था।रामबदन कि एक खास बात थी। चाहे परिस्थितियाँ विपरीत भी वो पर वह विचलित कभी नहीं होता था।
देखते ही दैखते सफर तय हो गये मील की सीटी बजी सिफ्ट चेंज होने का वक्त आ गया। रामबदन अपने ड्यूटी करने लगा तकरीबन साढे चार बजे दो लोगो के बीच नोक झोंक चल रही थी रामबदन पहले तो बात समझने की कोशिश कर रहा था।कुछ-कुछ तो वो समझ गया वो किसान थे अपने अकाउन्टेंट बाबू से बहस कर रहे थे।थोडी देर के उपरांत वो किसान रामबदन के पास आया और रोने लगा बोला रामबदन जी मै बर्बाद हो गया मेरे दो साल की कमाई अब नहीं मिलेगी मुझे जो कागज मिले थे वो बाढ की पानी में बह गये और ये अकाउन्टेंट बाबू कहते है कागज दो आखिर इनके पास तो दूसरी सारी कापी होगी अब तुम्हारा ही सहारा है कुछ तो उपाय करो ।रामबदन ने सबसे पहले उस किसान को चाय पानी पिलवाई और कहा सात बजे मैनेजर इन्सपेक्शन के लिए आते हैं। आप अपनी व्यथा उनको सुनाना मै भी वही रहूँगा आपका काम अवश्य होगा आप यही बैठ जायें।ठीक वैसा ही हुआ तकरीबन सात बजे मैनेजर सभी जगह इन्सपेक्शन करने के बाद रामबदन के पास भी आये रामबदन ने अभिवादन किया ।वो किसान मैनेजर को देखते ही रो रो कर सारी कहानी सुनाई मैनेजर किसान को लेकर सीधे अकाउन्टेन्ट के पास गये और कहा इस किसान की टोटल बकाया राशि का भूगतान आज 08 बजे तक हो जानी चाहिए और होने के बाद आप मुझे केबिन में 10 बजे मिलकर जाएँगे।वैसा ही हुआ किसान के सभी बकाया भूगतान कर दिया गया और जब अकाउन्टेन्ट साहब मैनेजर के केविन में गये तो उन्हें अकाउन्टेट की जगह दूसरे पैकिंग डिपार्टमेंट में भेज दिया गया और एक नया अकाउन्टेंट अब वहां कल से बैठेगा।
रामबदन से वो किसान नही मिल पाया क्योंकि उसे कुछ खरीददारी करनी थी सोचा घर पर ही मिल लेंगे।दोनो के घर करीब चार किलोमीटर का फासला था।
                रामबदन इन घटना क्रम से वाकिफ नही था ।अगले दिन जब ड्यूटी पर आया तो देखा अकाउन्टेंट की जगह एक नया आदमी है उसने सोचा शायद बीमार होगा और अपना काम करने लगा इतने में मैनेजर का चपरासी कोई कागज लेने रामबदन के पास आया तो बाते करने लगा उसने पूरी घटना रामबदन को बतायी सुनकर अफसोस हुआ क्यों लोग ऐसा करते हैं ?देखते ही देखते शनिवार आ गया दीपावली का इन्तजाम नहीं हुआ घर कैसे जाऊ यही सब सोचता हुआ वो आज घर जाने की तैयारी कर रहा था। इसी क्रम में उसी किसान से मुलाकात हो गयी और उसने रामबदन की खूब बड़ाई की और कहा आप देवता है हमारे लिए आपकी वजह से मेरा बहुत बडा काम हुआ पूरे दो साल की तकरीबन पंद्रह लाख रूपये का भूगतान सिर्फ एक घंटे में हो गया। किसान जानता था रामबदन ईमानदार है वो पैसे ऐसे नही लेगा पर कर्ज के नाम पर ले लेगा वो रामबदन को मदद करना चाहता था।ईसलिए पूछ बैठा दीपावली की खरीददारी हो गयी रामबदन उदास सा मन बनाकर बोला आज होगी।अरे भाय रामबदन महीने का लास्ट है मील में तो दो तारीख को तनख्वाह बंटती है तुम्हें कोई दिक्कत है तो कुछ रूपये मै तुम्हे उधार दे सकता हूँ? जब तुम्हे मिलेगी मुझे लौटा देना। इस तरह तुम्हारा काम हो जाएगा और मेरी मदद भी।रामबदन जरूरत और बच्चों की खुशी के लिए किसान से मदद ले ली और दीपावली की तैयारी में जुट गया शाम को वह अपने घर आया तो सभी के लिए कुछ न कुछ था। बच्चे बहुत खुश हुए ।सभी दीपावली मना रहे थे और रामबदन उन उधार पैसो को कैसे लौटाएगा यही सोच रहा था ।दीपावली के बाद जब उसे तनख्वाह मिलेगी तो प्रत्येक महीने थोडे थोडे उस किसान को दे देंगे पर पत्नी को क्या कहेगा यही सब बाते उसके मन में चल रही थी ।
तनख्वाह मिलने के उपरांत रामबदन उस किसान के घर गया लेकिन संयोगवश किसान से मुलाकात नहीं हुई वो कही बाहर किसी कुटुम्ब के यहां गया हुआ था।अतः मन मसोस कर चला आया कुछ दिनो के पश्चात दोंनो की मुलाकात हुई तो रामबदन ने कहा मै आपके घर गया था तो किसान बोला बोलिए कोई काम था? नही आपके पैसे लौटाने लेकिन अब तो मै आपको अगली तनख्वाह पर ही दे पाऊँगा ।किसान भड़ककर बोला रामबदन भाय आप मुझे अपना मानते ही नहीं आपके बच्चे हमारे भी तो बच्चे के समान है आप रहने दीजिए जब मुझे जरूरत पडेगी मै आपसे मांग लूँगा तब तक आप वेफिक्र रहें ।रामबदन की बात उसके मन में ही रह गयी और वह चुपचाप मन मसोस कर रह गया और ईश्वर की ईच्छा पर सब छोड दिया।
इसी तरह दूसरे महीने आये और तनख्वाह मिली तो रामबदन फिर किसान के घर गया और किसान को बोला देखो भाय मै इतने दिन तक ये कर्ज का बोझ नहीं उठा सकता इसलिए मेरे पर उपकार करो और अपने पैसे रखो पूरे तो नही है पर जल्द पूरा कर देंगे।किसान ने रामबदन को गौर से देखा और पैसे रख लिए रामबदन को हार्दिक खुशी हुई जैसे उसका बोझ हल्का हुआ हो।किसान समझ चुका  था कि रामबदन उधार लेकर चुकाने वालो मे से है घूस खाने वाला नही ? लालच और किसी भी तरह की महत्वाकांक्षा उसके अंदर नही था वो तो सिर्फ अपनी मेहनत और ईमानदारी को ही धन समझता था ।किसान ने कहा धन्य हो रामबदन ।
— आशुतोष

आशुतोष झा

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