मुक्तक/दोहा

दोहा

“दोहा”

चाँद आज का मनचला, करता बहुत किलोल।
लुक्का-छुप्पी खेलकर, हो जाता है गोल।।-1

साजन करवा चौथ का, है निर्जल उपवास।
जल्दी लाना चाँद घर, चिलमन चलनी खास।।-2

मुखड़ा तेरा देखकर, बुझ जाएगी प्यास।
साजन तुम दीर्घायु हो, यहीं चाँद से आस।।-3

रूप निखारूँगी सजन, कर सोलह शृंगार।
तेरे खातिर रात-दिन, रहती पिय बेजार।।-4

चाँद गगन सह चाँदनी, खेल रहा है खेल।
छुप जाता है जानकर, मानों कैदी जेल।।-5

वक्त-वक्त की बात है, घटता बढ़ता रोज।
गौतम प्रिय विनती करूँ, लाना चंदा खोज।।-6

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ