गीत/नवगीत

सोच सको तो सोचो

गिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ।
वरना जबरन ले लेंगे मत रोओ मत चिल्लाओ।।
खून सने कातिल कुत्तों से जनता नहीं डरेगी।
दे दो वरना तेरी छाती पर ये पाँव धरेगी।।
तेरी मेरी जनता कहने की ना कर नादानी।
याद करो आका जिन्ना की बातें पुन: पुरानी।।
देश बाँटकर जाते जाते उसने यही कहा था-
“पाक नहीं चल पाया तो भारत में इसे मिलाओ।”
गिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ।।
बार बार हम माफ किये थे तुम्हें समझकर भाई।
कुत्ते की दुम सा तुम ऐंठे बात समझ ना आई।।
जिस मजहब का ढोल पीटकर तुम आतंक मचाते।
तुमसे ज्यादा भारत में रहते रहकर इठलाते।।
कान खोलकर सुनो पाक नापाक नदारद होगा।
नफरत फैलाने वालों ने कब कितना सुख भोगा!!
जिन्ना से आगे बढ़कर कुछ सही दिशा में सोचो-
मानव को मानव बम अब तो हरगिज नहीं बनाओ।
गिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ।।
वह सत्ता का भूखा था भूखे थे कुछ अपने भी।
चकनानूर किए थे मिलकर भारत के सपने भी।।
हम विकास की राह चले तुम चले कुराह कसाई।
सही पड़ोसी बन पाये ना रह पाये तुम भाई।।
दुनिया में चहुँ ओर बज रहा है भारत का डंका।
रामराज की ओर चले हम तुम रावण की लंका।।
अलग थलग पड़कर दुनिया में आतंकी कहलाये-
सोच सको तो सोचो अथवा भारत में मिल जाओ।
गिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन