कविता

सूरज का स्वागत

सुबह-सवेरे सैर पे निकली
रास्ते में मिले भंवरे-तितली,
मैं थी उनसे गुफ़्तगू में मग्न,
तभी सुनाई दी एक आवाज सुरीली.
स्वागतम-सुस्वागतम उसने कहा,
कहां से आई प्यारी-सी ध्वनि इधर-उधर देखा,
”मैं सूरज बोल रहा हूं, स्वागतम अहा!’
”आप कर रहे स्वागतम दद्दू घोर आश्चर्य,
यह तो सचमुच ग़ज़ब हुआ!”
”ग़ज़ब की क्या बात बै इसमें!
दुआ से मिलती है रिटर्न गिफ़्ट दुआ,
तुम रोज उठते ही मेरा स्वागत करती हो,
मुझे नमस्कार करके दिन का प्रारम्भ करती हो,
आज मैंने तुम्हारा स्वागत किया,
तो इसमें आश्चर्य भला क्या हुआ?
ये तो प्रेम-प्यार की बात है,
इसमें पहल कोई भी करे, कुछ फ़र्क नहीं पड़ता,
सच तो यह भी है, कि प्रेम-प्यार का कोई मोल नहीं लगता,
यों भी मैं तो हर समय सबके साथ रहता हूं,
कभी सामने, कभी पीछे, कभी दांएं-बांएं दिखता हूं,
नहीं करता भेदभाव किसी में,
हर जीव-प्राणी, चर-अचर पर,
अपनी स्नेह-सुधा का वर्षण करता हूं.
अंतर समझ और नजरिये में है,
कोई मेरी आवाज सुने तो सही!
कोई मुझे समझे तो सही!
तुम्हारी प्यारी धरा मेरी परिक्रमा करती है,
वह धूप-उष्मा देने के लिए मुझे धन्यवाद देती है,
मैं भी उसे धन्यवाद के लिए धन्यवाद देता हूं,
ठीक उसी तरह जिस तरह आप रिक्शेवाले को,
तय किराया भी देती हैं
और वांछित मंजिल पर सुरक्षित पहुंचाने के धन्यवाद भी,
चंद्रमा मेरे प्रकाश से प्रकाशित होकर मुझे नमन करता है,
यह उसकी महानता है, मैं भी उसे धन्यवाद देता हूं,
दीपक हो या अग्नि, अपनी लौ को ऊर्धवोन्मुख करके,
प्रज्ज्वलित करने हेतु मेरा अभिनंदन करते हैं,
मैं उनको भी धन्यवाद देता हूं,
वृक्ष ऊर्धवोन्मुख होकर जीवन-दान देने हेतु मेरा आभार प्रकट करते हैं,
मैं भी उनको धन्यवाद देता हूं,
पंछी-पखेरे उड़ते हुए मेरी ओर ही आते हैं,
मैं उनका भी सत्कार करता हूं,
हम सब एक-दूसरे के लिए हैं,
तुम कहते हो ”सूरज नहीं होता तो हम सब भी नहीं होते”,
मैं कहता हूं ”आप सब नहीं होते, तो मैं किसके लिए चमकता भला?”
तुम मेरा स्वागत करते हो,
मैं तुम्हारा स्वागत करता हूं,
मैं तुम्हारा स्वागत करता हूं,
मैं तुम्हारा स्वागत करता हूं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सूरज का स्वागत

  • लीला तिवानी

    आप सभी को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं-
    सूर्य की पूजा का पर्व छठ पर्व-
    आज छठ पर्व का तीसरा दिन छठ है. चार दिवसीय छठ पूजा नहाय-खाय से प्रारंभ हो चुका है. 1 नंवबर यानी कल छठ का दूसरा दिन था. इस दिन को खरना या लोहंडा भी कहा जाता है. खरना के बाद व्रती 36 से 40 घंटे तक कुछ भी नहीं खाएंगे, जब तक कि वे चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य ना दे लें. तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परम्परा है. ऐसा विश्वास है कि इससे सुख-संपदा की भी प्राप्ति हो जाती है. इस कारण इस पर्व को डूबते सूर्य की उपासना का छठ पर्व भी कहते हैं.

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