क्षणिका

सिलवटें

“चद्दर की सिलवटों को तो ठीक किया जा सकता है,
जिंदगी की सिलवटों का क्या करें?
सिलाई की सिलवटों को तो ठीक किया जा सकता है,
रिश्तों की सिलवटों का क्या करें?
ग़ैरों की सिलवटों को तो ठीक किया जा सकता है,
अपनों की सिलवटों का क्या करें?
दुश्मनी की सिलवटों को तो ठीक किया जा सकता है,
दोस्ती की सिलवटों का क्या करें?
इनकार की सिलवटों को तो ठीक किया जा सकता है,
इकरार की सिलवटों का क्या करें?”
मन ने पूछा.
“सकारात्मकता अपनाएं
प्यार से सहलाएं
मुड़ें और मुड़ाएं
अपनापन बढ़ाएं
विश्वास बढ़ाएं.”
अंतर्मन से जवाब आया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244