गीत/नवगीत

कई साल मिले

लम्हों की चादर तले
दबे कई साल मिले
ख़ुशनुमा चेहरे सारे
वही ग़म-ए-हाल मिले
सोचती मैं थी हमेशा
सब मेरे जैसे तो हैं
हमसफर मिले कई
कहां हमख़्याल मिले?
खुशनुमा चेहरे सारे
वही ग़म-ए-हाल मिले
रंग सारे शोख़ थे
सभी खूबसूरत थे
दिल को भा जाए जो
वो कहां जमाल मिले!
हाथ मिलाए सबने ही
गले सभी तपाक लगे
नज़रों से नज़र मगर
कैसे क्या मजाल मिले!
लम्हों की चादर तले
दबे कई साल मिले
— प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी