गीतिका/ग़ज़ल

सबब

आईने  से नज़र  मिला के परखिए तो जरा।
आंख  झुकती तो नहीं  है ये देखिए तो जरा।
किसी के अश्कों के बहने का तू सबब तो नहीं
झांक के दिल में घड़ी भर को सोचिए तो जरा।
कहीं  करता  हो  कोई  इंतजार  हसरत  से
गुफ़्तगु  की  लिये  उम्मीद  गौर  करिये जरा।
देखिए  हो  न  रही  हो  कहीं  नाइंसाफी
हो ख़लीश दिल में तो महसूस कीजिए तोे जरा।
खो  न  जाए  कहीं  वजूद घुट  न  जाए  दम
इक  झरोखा किसी  कोने  का खोलिए तो जरा।
तीरगी  में  भले  दिखे  न  मगर  ये  “स्वाती”
अक्स  है तेरा  साथ  साथ  के मुड़िये  तो जरा।
पुष्पा अवस्थी “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है