गीत/नवगीत

कर्मवीर के कदम चूम लें

कर्मवीर वह कहलाता जिसकी रुकती नहिं चाल।
कर्मवीर वह कहलाता जिसका अनुगामी काल।
जिसकी चलती हैं हर साँसें सदा कर्म के साथ-
कर्मवीर वह कहलाता, नहिं वृथा बजाए गाल।।
नहीं झुका है नहीं झुकेगा इसका उन्नत भाल।
कर्मवीर के कदम चूम लें, ये हैं असली लाल।।
कर्मवीर  जिसके  पैरों  में कर्मों का स्पन्दन।
कर्मवीर जिसका जोखिम से होता नित आलिंगन।
जो पत्थर को मसल सके दरिया पर बाँध बनाए-
कर्मवीर जिसका करता है काल चक्र अभिनन्दन।।
काट डालता है कर्मों से हर उलझन की जाल।
कर्मवीर के कदम चूम लें, ये हैं असली लाल।।
कर्मवीर जिसके हाथों में साहस की पतवार।
कर्मवीर जिसके आगे है वर्तमान की हार।
परिवर्तन की आग बनाती कर्मवीर की राह-
कर्मवीर जिसके कर्मों से चलता है संसार।।
होठों पर मुस्कान सजाकर दिल से है खुशहाल।
कर्मवीर के कदम चूम लें, ये हैं असली लाल।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन