गीत/नवगीत

भारत माँ की शान बढ़ी

हुई विजय ना आज पराजय, भारत माँ की शान बढ़ी
दोनो आँखें चमक उठी हैं, अधरों पर मुसकान बढ़ी।

नव भारत का सृजन पर्व है, आओ मिलकर गान करें
वंदन-अभिनंदन की भूमि को, मिलकर सभी सलाम करें
सत्य-शांति की विजय पताका, हर युग में परवान चढ़ी,
हुई विजय ना आज पराजय, भारत माँ की शान बढ़ी।

आज विश्व को दिखला दें कि, सत्-पथ के हम नायक हैं
भले कंठ हो कोटि-कोटि पर, प्रीत-गीत के गायक हैं
है ये देश सभी धरमों का, फिर जग में पहचान बढ़ी,
हुई विजय ना आज पराजय, भारत माँ की शान बढ़ी।

कोई हमको बाँट सका ना, कोई बाँट ही पायेगा
तोड़ के सरहद आज संदेशा, चीन-पाक तक जायेगा
जिसने नज़र उठायी इस पर, वो गरदन शमशान चढ़ी
हुई विजय ना आज पराजय, भारत माँ की शान बढ़ी।

हम वंशज हैं हरिश्चंद्र के, न्याय हमारी थाती है
अन्यायी-अत्याचारी के, युग-युग से संघाती हैं
दूध-पानी का करने निर्णय, हमने वेद-पुराण गढ़ी
हुई विजय ना आज पराजय, भारत माँ की शान बढ़ी।

— शरद सुनेरी