सामाजिक

निजी संस्थानों के कर्मचारीयों की बृ़द्धावस्था

निजी संस्थानों के कर्मचारीयों की बृ़द्धावस्था

आज के युग में छोटे मोटे हजारों निजी कारखानें चल रहे है जिनमें आम आदमी के जीवन में काम आने वाली वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। ये कल कारखानें रात दिन चलते रहते है जहाँ श्रमिक अपनी जवानी में कदम रखते ही कार्य करना प्रारम्भ कर देते है और अपनी उम्र के 60 वर्ष होने तक कार्य करते रहते हैं। आयु पूरी होने पर सेवानिवृत हो जाते हैं।

सेवानिवृत होने के समय एक कुशल कारीगर की अधीकतम औसतन 10 से 12 हजार रूपये मात्र ही होती है और बाद में उसको पेंशन के रूप में 2 हजार से 2.5 हजार तक ही मिलती है। निजी कारखानों में कार्य करके कारीगर उम्र से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं वहीं सरकारी विभाग के चपरासी की मासिक आय 15 हजार से 25 हजार तक होती है तथा उसे 10 से 15 हजार तक पेंशन मिलती है। अब सोचनें वाली बात यह है कि आज के समय में 2-3 हजार रूपये में घर चलाया जा सकता है क्या ? क्या मुफ्त में लैपटाॅप, मोबाइल बाटनें वाली सरकारो के ऐसे कामगार लोगों के भविष्य या यूँ कहे उनके बुढापें के लिये नहीं सोचना चाहिये।

कुछ प्रदेश सरकारें बृद्धा पेंशन के नाम पर मजाक जैसा रवैया करती है जो 300 से 500 रूप्ये मासिक पेंशन देती हैं। निजी कारखानों में कार्य करने वालों के दिन कब फिरेंगे ये तो शायद ऊपर वाला ही जानें।

सौरभ दीक्षित “मानस”

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) dixit19785@gmail.com जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,