कविता

सुविधा परस्त लोग

सुविधा परस्त लोग

सुख से वंचित हो गये
जो अपने गम सम्भाल
सके ना इस जमाने में
वही कमबख्त लोग
दूसरों की हसीन खुशमंद
खुशियों पर रो गये
अपने ख्वाब सजाये ना गये
तो दूसरों की पलकों में
जहरीले कांटे चुभो गये
ख्याल नहीं था जिन्हें अपनी
बेरहम बदसूरत बेवफाई का
वो दूसरों की वफा के दामन में
जहर भरे शब्द बीज बो गये
जिन्हें अपने गम से ज्यादा
दूसरों की खुशियां चुभती है
वही चंद शांति के गुनहगार
अपना दामन मानवता के
लहू से बार बार भिगो गये
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश