लघुकथा

पीढ़ियों की मार.

आज रसोई घर में बड़ी उठा पटक हो रही थी। नन्हा राहुल अपने खिलौने से खेलना छोड़ कर रसोई घर में आ गया और पूछा; “कमला ताई आप आज मेरे लिए डोसा भी नहीं बनायी दोपहर में आलु भुजिया भी नहीं दीं । आज आप सुबह से लगातार किचन में काम भी कर रही हो,और फिर भी मुझे मेरे पसंद का खाना नहीं मिला ।”
” बाबु आज तेरे दादु और दादी मां आने वाले हैं, उन्हीं के लिए बर्तन निकाल कर धो मांज रही हूँ ।”
राहुल पूछ बैठा— “क्यों दादू और दादी माँ बहुत खाते हैं जो रसोई घर में बर्तन कम पड़ गये ।”
कमला हंसते हुए बोली “नहीं लल्ला ,वो ज्यादा नहीं खाते हैं ,उनके बर्तन शुरू से ही अलग रहते हैं। क्योंकि कांच के प्लेट तो बहुत मंहगी होती है। गलती से भी उनके हाथ से छूट कर टूट जाये,तो कम से कम हजार पांच सौ का नुकसान होगा ।”
राहुल बड़ी मासुमियत से बोला “पर मेरे हाथ से तो अक्सर ग्लास और प्लेट टूटते रहते हैं। तब कोई नुकसान कहाँ होता है ?”
“आपको कैसे पता कि हजार या पांच सौ का नुकसान होगा?”
” बबुआ मुझे पता है, क्योंकि जब भी कोई बर्तन मेरे हाथ से टूटता है तो पगार से उतना पैसा काट लिया जाता है।”
तभी नंदिता आ गई–“क्या अनाप-शनाप मेरे बच्चे के दिमाग में डाल रही हो ?”
जाओ राहुल तुम भी अपने कमरे में जाओ । राहुल चुपचाप अपने कमरे में चला गया । बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं, रूठना मनाना तो बड़े करते हैं ।वह खाने की टेबल पर पहुँचा । स्टेनलैश स्टील की थाली में दादू एवं दादी माँ को खाते देख कर उसे बड़ा अच्छा लगा । चमचमाते बर्तन बड़े मनोहारी लगे ,उसने उसी थाली में खाने की ज़िद पकड़ ली।
लाख कोशिशों के बावजूद भी राहुल जिद पड़ अड़ा रहा , मैं तो दादू की थाली में ही खाऊंगा । नंदिता राहुल को अपने कमरे में ले गई,और जोर से कान उमेठते हुए बोली “राहुल मैं देख रही हूं कि तुम कमला ताई के साथ रहकर जिद्दी और बद्तमिज होते जा रहे हो । कल ही मैं कमला को नौकरी से निकाल दूँगी,और दुसरी गवर्नेंस ले आऊंगी।”
राहुल चुपचाप एक कोने में बैठ कर रोता रहा ,तभी कमला ताई उसके लिए मनपसंद आलु के पकौड़े बनाकर ले आई।
लल्ला तुम खाना खा लो नहीं तो मेरे बच्चे भूखे मर जायेंगे। राहुल को कमला ताई की बात समझ में नहीं आई।
ताई रोते जा रही थी,और राहुल को समझाते जा रही थी।लल्ला तुम्हारी तरह हमारी भी एक बिटिया है जो अपने छोटे भाई का ख्याल रखती है , जैसे मैं तुम्हारा ख्याल रख हूँ ।”
नन्हें राहुल को आज एक से बढ़कर एक नई बातें पता चल रही थी।
पर वह मासूम समझ नहीं पा रहा था कि,जिस थाली में खाना खाने से उसे संक्रमण की बिमारी हो जायेगी, उसमें दादू और दादी मां क्यों खाते हैं ?
दुसरी ओर मुझसे भी छोटे बच्चे अगर कमला ताई के हैं,तो वह उन्हें कैसे अकेला छोड़कर मेरा ख्याल रखने आती है ?

आरती राय *(रिपोस्ट)

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com