किसपे करे भरोसा होता ही अब नहीं।
किसपे करे भरोसा होता ही अब नहीं।
ये दर्द बेतहासा सोता ही अब नहीं।।
सोचा उगायें हम फसलों को प्यार की,
वो बीज इश्क के भी बोता ही अब नहीं।
रोकर निकालते थे पहले तो सारे ग़म,
पत्थर हुआ मेरा दिल रोता ही अब नहीं।
किसपे करे भरोसा होता ही अब नहीं।
ये दर्द बेतहासा सोता ही अब नहीं।।
……………..मानस

परिचय - सौरभ दीक्षित मानस
नामः- सौरभ दीक्षित पिडिट्स पताः- भवन संख्या 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर पिन 208022, उत्तरप्रदेश मो 8004987487, 9760253965
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