राजनीति

अन्ततः राम जन्मभूमी अयोध्या राम की हूई

9 November 2019  फैसले का अंतिम दिन  लागातार ४० दिन तक बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला  पुरे भारत में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम , पुरे देश में शांति और भाईचारे की अपील कई जगह धारा १४४ लागु , देश ही नहीं दुनिया की निगाहे टिकी हुई थी की क्या निर्णय आता है ? लगभग  ५०० साल पुराने मामले पर सत्य और साक्ष्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के पंच परमेश्वर (पांच जज) ने भारत के सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश श्री. रंजन गोगोई की अगुवाई में अपना निर्णय देश को सुनाया और पुरे भारत में ख़ुशी की लहर चल पड़ी , लगभग सभी लोग इस निर्णय से सहमत नजर आये | पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने रामलला के हक में निर्णय सुनाया सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राम मंदिर उसी स्थल पर बनेगा साथ ही मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने के भी निर्देश दिए ए हैं राम मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए गए | पांच जजों ने दिया ऐतिहासिक फैसला दिया – जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबडे, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर इन्होने  ९ नवम्बर के इस  दिन को  विश्व के इतिहास में अमर बना दिया |

 जब अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब में थे. वह करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के लिए पहले जत्थे को रवाना कर रहे थे. लेकिन शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और सभी से शांति की अपील की. अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी. राम मंदिर के निर्माण से अब राष्ट्र निर्माण की और बढ़ने का संकल्प मोदीजी ने देशवासियों को याद दिलाया | बॉलीवुड के अनेक अभिनेता और अभिनेत्रियों ने इस पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और अपनी ख़ुशी जाहीर की है देश की लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार किया है और देश में शांति और भाई चारे की अपील की है | देश के अनेक महान संतो ने भी अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है और मुस्लिम समाज के इमाम , मौलवियों से मिलकर साथ- साथ चलने का सन्देश दिया है | सलमान खान  के पिता और दिग्गज पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता सलीम खान ने अयोध्या  मामले पर आए फैसले पर जोरदार रिएक्शन दिया है सलीम खान ने कहा, हमें मस्जिद की जरूरत नहीं, नमाज तो हम कहीं भी पढ़ लेंगे..ट्रेन में, प्लेन में, जमीन पर, कहीं भी पढ़ लेंगे. लेकिन हमें बेहतर स्कूल की जरूरत है. तालीम अच्छी मिलेगी 22 करोड़ मुस्लिमों को, तो इस देश की बहुत सी कमियां खतम हो जाएंगी.” अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कर्नाटक के एमएलए रोशन बेग ने कहा कि मैंने एक साल पहले कहा था कि अगर भारत में राम मंदिर नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा ?

एएसआई के पूर्व निदेशक केके मोहम्मद ने कहा- फैसले से दोषमुक्त महसूस कर रहा हूं :

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व निदेशक व पद्मश्री केके मुहम्मद ने कहा कि वह अब खुद को दोष मुक्त महसूस कर रहे हैं क्योंकि मंदिर की बात करने पर उन्हें कुछ समूहों ने धमकी दी थी । उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में पुरातात्विक व ऐतिहासिक साक्ष्य पूरी तरह हिंदुओं के पक्ष में रहे । मुहम्मद वर्ष 1976-77 में पुरातत्वविद प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में अयोध्या में खुदाई करके साक्ष्य इकट्ठा करने वाली  टीम के सदस्य भी रहे हैं । उन्होंने दावा किया कि कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने लोगों को बरगलाया, जिससे मामला पेचीदा होता गया । मुहम्मद कहते हैं, 70 के दशक में और उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से हुई खुदाई में अयोध्या में मंदिर के अवशेष मिले । अवशेष बताते हैं कि विवादित परिक्षेत्र में कभी भव्य विष्णु मंदिर था । वे मानते हैं कि जिस तरह से मुसलमानों के लिए मक्का -मदीना का महत्व है, उसी तरह से आम हिन्दु के लिए राम व कृष्ण जन्मभूमि महत्वपूर्ण है । मुहम्मद कहते हैं कि अलग-अलग  कालखंडों में लिखे गए ग्रंथ भी हमें किसी नतीजे पर पहुंचाने में मदद करते हैं । मुगल सम्राट अकबर के कार्यकाल (1556-1605 ईस्वी) में अबुल फजल ने ‘आइने अकबरी’ लिखी । तब मस्जिद वजूद में आ चुकी थी । अबुल फजल लिखते हैं कि वहां चैत्र माह में बड़ी तादाद में हिंदू श्रद्दालु पूजा करने आते थे । जहांगीर के कार्यकाल (1605-1628) में अयोध्या आए ब्रिटिश यात्री विलियम फींस ने भी अपने यात्रा वृतांत में लिखा कि वहां विष्णु के उपासक पूजा करने आते थे । हालांकि इस वृतांत में मस्जिद को लेकर उन्होंने कुछ नहीं लिखा है । इसके काफी  बाद 1766 में पादरी टेलर ने भी इस स्थल पर हिंदुओं के पूजा-अर्चना करने का जिक्र किया है, जबकि नमाज के बारे में कुछ नहीं लिखा । अनेक विदेशी लेखकों ने राम मंदिर के बारे में अपनी पुस्तकों में  लिखा है |

वामपंथी इतिहासकारों ने नहीं सुलझने दिया राम मंदिर मामला :

राम मंदिर का यह मसला अब से 40 बरस पहले की सुलझ सकता था लेकिन नहीं सुलझा । दिल्ली विश्वविद्यालय में एक डिबेट के दौरान उत्तरप्रदेश  शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा भी कि हठधर्मी खत्म करके वहां राम मंदिर बनने देना चाहिए और इसमें स्वयं सहयोग करना चाहिए उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस में न्यू भारत फाउंडेशन की ओर से राम मंदिर पर आयोजित एक डिबेट में उन्होंने कहा कि मुसलमान इस बात को भी अच्छी तरह जानते हैं कि ऐसी जगह नमाज नहीं पढ़ी जा सकती जो जगह आपकी न हो, या वह किसी से छीनी गई हो । जब इस्लाम में ऐसी जगह पर नमाज जायज नहीं है तो फिर मस्जिद कैसी ? मोहम्मद बताते हैं कि खुदाई करने के15 दिनों बाद उस जगह से मंदिरों के 12 स्तंभ मिले थे जिनके गुंबद 11वीं और 12वीं शताब्दी के मंदिरों में मिलते हैं. इसके अलावा गुंबद में9 ऐसे चिन्ह मिले थे जो मंदिर होने का सबूत देते थे । जैसे विष्णु हरि शिला फलक, मंदिरों के गर्भगृह से निकले वाले मकर प्रणाली के स्तभं, छोटी-छोटी मूर्तियां। ये सब बातें यह साबित करने के लिए काफी हैं कि वहां भगवान श्रीराम का ही मंदिर था |

राजी थे मुसलमान पर वामपंथियों ने नहीं सुलझने दिया मुद्दा:

केके मोहम्मद कहते हैं इरफान हबीब और रोमिला थापर जैसे वापमंथी इतिहासकारों ने मसले को नहीं सुलझने दिया । मुसलमान तब जमीन पर अपना हक छोड़ने के लिए राजी थे लेकिन वामपंथी इतिहासकारों ने उनका ब्रेनवाश कर दिया । इस कारण जो मुद्दा बरसों पहले सुलझ सकता था वह अब जाकर सुलझा है | अयोध्या का मामला अदालत के बाहर भी सुलझ सकता था, यदि देश के मुसलमानों को मुस्लिम नेतृत्व ने , ख़ास तौर पर न्यायालय में मुस्लिम पक्षकारों ने, सत्य बताया होता. लेकिन वोट बैंक की राजनीति हावी होती चली गई. मुस्लिमों को बताया जाना चाहिए था कि राम जन्मभूमि पर वास्तविक प्रमाण क्या कह रहे हैं. शरियत में बाबरी ढांचे की क्या स्थिति है. प्रारंभ में मुस्लिम पक्षकारों ने एक अच्छी बात कही थी जब 1 फरवरी 1986 को रामलला को मुक्त करने (जन्मभूमि का ताला खोलने) के न्यायालय के आदेश के विरुद्ध बाबरी मस्जिद समन्वय समिति गठित हुई. सैय्यद शहाबुद्दीन इसका नेतृत्व कर रहे थे. शहाबुद्दीन ने कहा कि यदि सिद्ध हो जाए कि मंदिर को गिराकार बाबरी ढांचा बनाया गया है तो वे खुद अपने हाथों से उसे ढहाकर जगह हिंदुओं को सौंप देंगे. लेकिन बाद में वो अपनी ही बात से मुकर गए थे .  कट्टरपंथी मुस्लिमों ने और राजनैतिक पार्टियों भारत के मुस्लिमों को बाबर से जोड़ने का प्रयास किया गया. जबकि समझदार मुस्लिम लोग कहते रह गए कि देश के मुसलमानों का डीएनए राम से मिलता है, बाबर से नहीं. भले  राम उनके आराध्य नहीं है, पर उनके पूर्वज अवश्य हैं. राम भारत के राष्ट्रीय महापुरुष हैं. इस नाते प्रत्येक भारतीय के हैं. काश ! देश के मुसलमानों को ये सब बताया गया होता..!

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।  को करि तर्क बढ़ावै साखा ॥

— महेश गुप्ता

महेश गुप्ता

नागपुर से हूँ. एक आईटी कंपनी में अकाउंटेंट के रूप में कार्यरत हूँ . मेरा मोबाइल नंबर / व्हाट्स अप्प नंबर ८६६८२३८२१० है. मेरा फेसबुक पेज https://www.facebook.com/mahesh.is.gupta