गीतिका/ग़ज़ल

गजल

गज़ल
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सलीके से छुपा रहीं हर अज़ाब आपका
हैं ये मुस्कुराहटें या हिजाब आपका

शाद हुस्न बेरहम क़यामती निगाह है
कत्ल कर गया मेरा ये शबाब आपका

इकअदा में है कज़ा इक अदा में जिंदगी
आपका है इख्तियार इंतखाब आपका

मेरे जह्नो-जान भी मिल्कियत है आपकी
शब मेरी मेरी निगाह और ख्वाब आपका

अलम में सब अदु हुए अब खुदी से बैर है
आना भी खराब जाना भी खराब आपका

रंग-ओ-बू नहीं सही फिर भी पुरखुलूस है
डायरी में आज भी वो है गुलाब आपका

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अज़ाब – पीड़ा , संताप
हिजाब – परदा
कज़ा – मृत्यु
इंतखाब – चयन , चुनने की क्रिया
अदु – शत्रु

समर नाथ मिश्र