कविता

तुम साथ नही होते

जब दिल आहें भरता है
तुम साथ नही होते।
जब आहें तुझे देती हैं सदा
तुम साथ नहीं होते।
यूं तो महफिल है संग मेरे दर्दों की
जब तन्हाई सताए
तुम साथ नही होते।
रोम रोम में बसे हो मेरे
जब जोर से धङके दिल
क्यों तुम साथ नहीं होते
मेरे सिर्फ मेरे हो
फिर भी क्यों तुम साथ
नहीं होते।
— प्रभजोत कौर

प्रभजोत कौर

मेरी रचनाएं: एक सांझा काव्य संग्रह "अल्फाज ए एहसास" :मुंबई की पत्रिका"अग्रिमान" में मेरी छह कविताएं नागपुर की पत्रिका "दिवान" मे इश्क का एहसास "जनभाषा हिंदी डॉट कॉम" में अब तक तीन कविताएं " मैं रात और इश्क तुम्हारा " "तुम्हारे बिन " "बहुत याद आते हैं" तीसरा स्थान मिला है "मैं रात और इश्क तुम्हारा" को । नागपुर के अखबार में,"दैनिक सवेरा" ,"हमारा मैट्रो", और नोएडा के "दैनिक वर्तमान अंकुर" में भोपाल के "दैनिक अखबार लोकजंग" में ,"साहित्य अर्पण एक पहल" में,हमारी कई रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। और भी कई अखबारोंऔर पत्रिकाओं में हमारी रचनाएँ अपने दर्द, तकलीफ मैं अपनी कलम को कहती हूं वह इसे मेरे एहसास बनाकर मेरी डायरी में समेट देती है ।