कविता

मिट्टी का जिस्म 

मिट्टी के जिस्म पे
गुमान करने वाले
एक दिन ऐसा आयेगा
कर्म करेगा खुद ही
और खुद ही अपने
कर्मो से लजायेगा
थोड़ा तो इंसान वाले
कर्म कर ले मानव मन
नहीं तो एक दिन तू
जानवर कहलायेगा
मन मार के जीने वाले
तू जिस्म देख कर अपना
एक दिन बड़ा पछतायेगा
— आयुष त्रिपाठी

आयुष त्रिपाठी

भोपाल मध्य प्रदेश