कविता

कविता – गुनगुनी धूप

सुनहरी धूप अंतस्तल में समाई

बीते दिनों की यादें संग लाई ।

आँगन में कभी अपनों के संग

मस्ती करते रहते थे हम संग संग।

कहाँ गई वो धींगामस्ती 

अम्मा की फटकार थी सस्ती।

काश फिर से अम्मा करे पूकार

जीवंत हो जाये प्रोढ़ावस्था लाचार।

यादों के संग करती अठखेली

एकाकी पन फिर भी बनी पहेली।

यादों के संग जीना होगा।

जीवन संध्या का हर ग़म सहना होगा।

किससे अब करूँ शिकायत

हर कोई अब फरियादी है।

— आरती राय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com