कविता

बेटी

एक बेटी ने उस वक्त अपने

बाप को नया जन्म दे दिया
जब उसने अपने प्रेमी को
ये कहकर ठुकरा दिया कि
तुम मेरे पापा से बढ़कर
नहीं हो गर मेरे पापा ने
कहा है की तुम मेरे लायक
नहीं तो तुम मेरे पापा के
दामाद बनने लायक तो
बिल्कुल भी नहीं हो सकते
मैं मेरे पापा का खेल भी हूँ
अपने पापा का खिलौना भी हूँ
मत कोशिश कर मुझे तोडने की
नहीं तो जमाने में कोई बाप
हिम्मत ना कर सकेगा फिर
बेटी रूपी दौलत जोड़ने की
माना की मैंने तुझसे प्यार किया
इस प्यार की सजा मैं भुगत लूंगी
तेरी याद में रोकर जी लूंगी
पर तेरे साथ घर से भागकर
अपने पापा को मैं जीते जी
सजा ए मौत की सजा नहीं दूंगी
— आरती त्रिपाठी

आरती त्रिपाठी

जिला सीधी मध्यप्रदेश