कविता

रजा तेरी

मुझे तो इश्क करना है तुझसे
तू चाहे तो दगा दे जाए।
सच बोलना फितरत है मेरी
फिर चाहे जां मेरी चली जाए।
दिल की दीवानी हूं अपने
बगावत नही करनी इसकी
फिर चाहे तू जुदा हो जाए।
कोई आए न हमारे दरमियान
इतना चाहा है तुझे
अब हसरत है तेरी
तू चाहे तो मेरा रकीब आ जाए
गमों संग खेलना तकदीर है मेरी
तू भी गम दे दे मेरा नसीब निखर जाए।
मरना तो है एक रोज सबको
काश!!! मेरा आखिरी दम तेरे नाम हो जाए।
jot

प्रभजोत कौर

मेरी रचनाएं: एक सांझा काव्य संग्रह "अल्फाज ए एहसास" :मुंबई की पत्रिका"अग्रिमान" में मेरी छह कविताएं नागपुर की पत्रिका "दिवान" मे इश्क का एहसास "जनभाषा हिंदी डॉट कॉम" में अब तक तीन कविताएं " मैं रात और इश्क तुम्हारा " "तुम्हारे बिन " "बहुत याद आते हैं" तीसरा स्थान मिला है "मैं रात और इश्क तुम्हारा" को । नागपुर के अखबार में,"दैनिक सवेरा" ,"हमारा मैट्रो", और नोएडा के "दैनिक वर्तमान अंकुर" में भोपाल के "दैनिक अखबार लोकजंग" में ,"साहित्य अर्पण एक पहल" में,हमारी कई रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। और भी कई अखबारोंऔर पत्रिकाओं में हमारी रचनाएँ अपने दर्द, तकलीफ मैं अपनी कलम को कहती हूं वह इसे मेरे एहसास बनाकर मेरी डायरी में समेट देती है ।