कहानी

ज़रूरी

“आपका प्रेशर बढ़ गया है। डरना नहीं, लेकिन अब आपको ज्यादा आराम की ज़रुरत है, बस एक हफ्ता रह गया….” फिर गला …… कर “क्या आप सुन रही हैं?”
मैं चौंक गयी। जी…!
भरी मुसकराहट छोड़ी और डाक्टर को देखती रही। डाक्टर साहब कुछ पल मेरी ओर देखते रहे, फिर चेहरा गंभीर बनाकर मेरा फ़ाइल्, जो उसके हाथ में था पटकने लगे। मुझे लगा कि मेरी आकस्मिक मुसकराहट मेरे मन की व्याकुलता छुपाने में सफ़ल नहीं हुई। डाक्टर साहब की अगली बात क्या निकलेगी? उस अनिश्चित पल का अहसास मैं अपने अंदर कस बाँध रखने की कोशिश करती रही।
“आप आज यहाँ ठहरें और बेड-रेस्ट करें, अपने पति से खबर भेज दें। और हाँ, आपके पति आएँगे जब, मुझसे मिलवाइएगा ज़रूर।”
मैंने बस सर हिलाया।
डॉक्टर साहब वोड से निकलने तक मैं उनकी ओर देखती रही, फिर एक लंबी साँस निकाल दी।
पाँव की भारी को शिकार किया गया मन का बोझ, प्रसव पीड़ा को निगलने में खड़ा दिल का दर्द, प्रतीक्षित वसंत के साथ आनेवाला तूफ़ान और इन सब के साथ बढ़ती मेरी धड़कनें।
रात साढ़े आठ बज रहे थे। दवा के आदेश के बाद उपचारिका ने कंधे पर हाथ रखकर दयालु हँसी छोड़ दी और वोड के बाहर निकल गयी। किसीकी दयालु हँसी किसी भी दिल का दर्द घटाने में सफ़ल क्यों न हो, मुझमें उपजी हुई हलचल पर उसका कोई असर नहीं पड़ा। दुपहर केवल माँ आयी थी और उसके साथ हुए संवाद से, उस संवाद के साथ हममें छायी हुई व्याकुलता से, जिसे मैं बार-बार निगल लेने की कोशिश में थी तथा उस संवाद के साथ माँ के चेहरे पर चढ़ते हुए गुस्से से, जिसे मैं छुपाने का अविरत प्रयास कर रही थी, उपचारिका ने मेरे वैवाहिक जीवन की हालत का कुछ-न-कुछ इशारा पाया होगा, क्योंकि दुपहर पूरे वोड में एक मैं ही बची थी, जिसके पति मौजूद नहीं थे। मैं पलंग के सिरहाने पर तकिया रखकर उसपर लेट गयी।
एक हफ्ते के बाद मैं एक माँ बन जाऊँगी। एक औरत इससे बढ़कर और क्या अमानत पा सकती है, लेकिन मैं एक ऐसी उलझन में लिपटी हुई हूँ कि जिसका हर कोई हल किसी दूसरी उलझन की माँ बन बैठती है।
तलाक के बाद जिस दिन मेरी मुलाक़ात अजित से हुई थी, तब तक मुझसे मिले हुए हर मर्द मेरे दिल के निकट पहुँचकर केवल जिस्म का स्वाद पाना चाहते थे। उनमें से केवल अजित ही मुझे छू सका, क्योंकि वह भागनेवाला नहीं था। इसका बतलब यह नहीं कि अजित अपना परिवार छोड़ आकर मेरे बच्चे के जन्म-प्रमाणपत्र के पिता का नाम के आगे अपना नाम रचेगा, लेकिन वह मानता है, कि बच्चा उसका है, इसलिए आज तक वह परदे की आड़ में एक बाप की ज़िम्मेदारी निभाना नहीं भूला। अगले हफ़्ते से पिता का सामने आना ज़रूरी है, पर वह अजित से नहीं होगा। मैंने इसलिए डैनियल के बारे में अजित से कहने आ फैसला किया।
मेरा कैनाडा जाना होटल-प्रबंधन के द्वारा निर्णय किया गया था। दो हफ़्ते का सफ़र, जो मेरी गत दो वर्ष की सफलता ने मुझे दिलाया, यह सफ़र मेरे वैवाहिक, कलंकित जीवन से मिला बोझ हल्का कर देगा, मैंने ऐसा ही सोचा। उस रात अजित के जोशीलापन में पहले से ज़्यादा चमक थी। कल तड़के हवाईअड्डे पहुँचाना है, लेकिन मैं उस जोशीलापन में पिघलाना चाहती थी। अजित अपने दाम्पत्य जीवन के आगे एक बेवफ़ा क्यों न हो, उसकी मुझपर बरसनेवाली भावनाओं की इमानदारी के कारण अजित मुझमें छिपी जवानी औरत की माँग तीन साल से पूरा करता चला आ रहा था। उस रात भी वही हुआ, जिससे मैंने एक अनदेखे देश में दो हफ्ते अकेले बिताने की ताकत पायी।
एक अजनबी देश में जब पहली बार डैनियल से मेरी मुलाक़ात हुई, तब तक एक हफ़्ता बीत चुका था। सफ़ेद बालवाले उसके साथ मेरी जान पहचान इसलिए जल्दी हो गया कि यह एक-दूसरे की ही ज़रूरी थी, जो मैं आज समझ रही हूँ। इकसठ उम्रवाला डैनियल मुझे अपने नाम से पुकारा था। उसके कारण मेरे सफ़र का बाकी हफ़्ता रंगीन होता जा रहा था। पहले हफ़्ते के अंदर मेरे द्वारा महसूस की गयी अजित की कमी डैनियल निगल रहा था।
बाकी सप्ताह का काफ़ी समय हम साथ-साथ गुज़ारे थे। उसकी पत्नी गुज़री, दो बेटे अमेरिका में बस गये। मुझे लग रहा था कि डैनियल अपने एकाकी रिटायर-जीवन के लिए कुछ ढूँढ़ते भटकता था। हमारा चलना-फिरना और हमारी बातचीत मेरी ही नहीं, उसकी भी ज़रूरतें पूरा कर रहे थे। जिस दिन मैंने कैनाडा को अल्विदा कह दिया, उस दिन के पहली रात डैनियल ने डिनर के लिए उसके घर बुलाया।
वह रात रंगीन थी। डैनियल बूढ़ा क्यों न हो, जिम का असर शरीर भर कूट-कूटकर पड़ा था। कमीज़ के नीचे छिपे चौड़ी काठी तथा उभरे हुए सीने से जिस दिन हम मिले थे, मेरी निगाहें खींचती चली जा रही थीं, जो उस रात पहली बार मैंने मोमबत्ती की धुँधली रोशनी में लिपटकर चमकते हुए देखे। धुँधलापन में अधीरता छा गया। हमसे हदें गुज़र गयीं।

मुझे लगने लगा कि मेरी पीठ दर्द कर रही है। मैंने तकिये को पलंग की गद्दी पर रखकर पीठ के बल लेट गयी। वोड भर सन्नाटा छाया हुआ था। ऊपर ठीक मेरे मुँह के मुखाबले पंखा चालू था। उसके पंख तेज़ घूम रहे थे। मैं उसकी ओर देखने लगी तो, स्पष्ट सारा वातावरण धुँधला चला गया। अब मेरी स्थिति भी वही है। अब मेरा भविष्य उतना धुँधल रहा है कि कल नामक कोई भी स्पष्ट चीज़ दिखाई नहीं देता।
जिस दिन मैंने मेरी गर्भ-धारण के बारे में डैनियल से कहा, वे खुश हुए। मुझपर बरसी डैनियल की भावनाओं में इमानदारी झलकती थी, फिर भी मैंने कभी नहीं सोचा कि वे खुश होंगे। उस दिन से अजित की तरह डैनियल ने भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाना शुरू किया।
दो हफ़्ते के अंतर ने मुझे एक अफैसले में फँसा दिया, लेकिन उस अफैसले के कारण आज तक जो कुछ हुआ था, वे सब मेरी इच्छा के अनुसार हुए थे। डैनियल हर महीने मेरे लिए पैसे भेजता है। दिन में दस-बारह बार फ़ोन लगाता है। अजित भी हर दिन मेरे लिए फुर्सत पाना नहीं भूलता। इस कहानी के इस प्रसंग का एक हफ्ते के बाद बदलना ज़रूरी है। अगले प्रसंग में एक नया पात्र आनेवाला है, उसपर यह फैसला तो ज़रूरी है कि अजित और डैनियल में से कौन टिकेगा और कौन निकलेगा।
वे रात, जो कैनाडा जाने से पहले और कैनाडा से वापस आने से पहले मेरी तकदीर में लिखी थीं, किस रात ने मेरा शिकार किया, मैं अभी भी जिसकी तलाश में हूँ। कैनाडा की रात पर कुछ अंदाज़ा करती हूँ। इसका मतलब यह नहीं कि लंका की रात पर कोई शक है, वह रात, जो मैंने कैनाडा जाने से पहले अजित के साथ बिताया था, आज भी याद किया करती हूँ, लेकिन तीन साल का हमारा नाजायज़ रिश्ता मिलने-बतियाने की हद में ही नहीं रहा। और यह भी कैसे भूल पाऊँ कि अजित भी दो बच्चे का बाप है।
डैनियल ने जिस दिन शादी का वादा किया, ठीक छः महीने बीत जाने पर वे लंका आ गये और मुझसे शादी करके वापस कैनाडा चले गये, इसलिए मैं अजित के बारे में डैनियल को बता नहीं सकता। अजित बच्चे के भरण-पोषण में मेरे साथ रहेगा ज़रूर, लेकिन बाप नहीं बनेगा। डैनियल अगले महीने फिर आनेवाला है, मैंने इसलिए अजित से डैनियल के बारे में केवल शादी की बात बोली। बच्चे के जन्म लेने के बाद मेरी शादी डैनियल के साथ हो जाएगी, जो अजित को चैन पाने का कारण रह। इन सब के लिए बच्चा अजित की तरह काला और डैनियल की तरह गोरा न होकर मेरी तरह गेहुँआ निकलना ज़रूरी है, ताकि दोनों सोचे कि बच्चा माँ के जैसे निकला। बच्चा गोरा निकलेगा, तब अजित सोचेगा कि मैंने अजित के साथ बेईमानी की।
अकेली औरत, जो अपना बीता जीवन एक नरक में गुज़ारती रही, जुगनू की रोशिनी से भी सहम जाना साधारण बात है, लेकिन यही सहम उस औरत का कोयले के बीच जलते तलवार की तरह दार चढ़ा देता है। अपने सब कुछ नष्ट होने के बाद वह अकेली औरत सामाजिक कलंक बन जाता है और समाज के द्वारा नकारा जाता है। हर कोई तिरछी नज़र दौड़ता है। मर्द के बिना अधूरा औरत का अस्तित्व, जो एक बार टूट गया हो और उसका कारण भी कोई मर्द हो, मर्दों को श्राप जपते हुए भी किसी मर्द की ही तलाश करता है।
डैनियल मैं और बच्चा एक नया घर बसाएँगे, नया जीवन शुरू करेंगे, जीवविज्ञान के अनुसार बच्चे का असली बाप डैनियल हो, अजित का यह विशवास जारी रखना ज़रूरी है कि बच्चा उसका है।
— डी. डी. धनंजय वितानगे, श्री लंका