कविता

शिक्षा और शिक्षक

शिक्षा ही जीवन का आधार है,
देश का विकास भी शिक्षा के स्तर पर निर्भर,
शिक्षा का स्तर,शिक्षक पर है निर्भर,
जब तक शिक्षा का स्तर ऊंचा नहीं उठता,
तब तक देश का स्तर ऊंचा नहीं हो सकता,
शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं, अपितु स्वयं ही जीवन है।

शिक्षा का उद्देश्य, आंख-कान को खोलना है,
शिक्षा के माध्यम से ही उसमें संवर्द्धन होता है,
शिक्षा का मूल मंत्र व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाना है,
आत्मविश्वास से ही स्वयं में निखार लाना है,
शिक्षा से ही जीवन में सहनशीलता और धौर्य ला पाती है।

शिक्षा ही से हम सब का आंकलन हो पाता है।
शिक्षा में धन का निवेश, राष्ट्रीय आय बढ़ाती है,
फैक्ट्री -मशीन के निवेश से भी, अच्छे परिणाम आ जाते है,
शिक्षा की उन्नति से ही व्यक्ति शिखर पर पहुंच पाता है,
समझदारी, ईमानदारी, और जिम्मेदारी जीवन में आती है।

शिक्षा से ही जीवन मधुर बन पाता है,
विनोद प्रिय व्यवहार ही व्यक्ति में निखार ला पाती है,
शिक्षा ही तो मानव और पशु में अन्तर कर पाती है,
आकृति को देखकर मनुष्य व पशु में पहचान कराती है,
देव दानव की पहचान भी शिक्षा ही कराती है,
जीत जीवन में शिक्षा ही दे पाती है,
शिक्षा ही जीवन में प्रगति लाती है।

— कालिका प्रसाद सेमवाल

कालिका प्रसाद सेमवाल

प्रवक्ता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, रतूडा़, रुद्रप्रयाग ( उत्तराखण्ड) पिन 246171