मुक्तक/दोहा

हमीद के दोहे

बाल न बांका हो कभी,  टूटे  ज़रा न आस।
पालन हारे  पर  रखे ,  मानव  जो विश्वास।
झेलेंगे   हमले  नये , खान   बाजवा  पाक।
सूतक की  अब  मार से, हो जायेंगे खाक।
पूरी ताक़त जोड़ कर,नहीं सके यदि जीत।
दो हाथों  को जोड़कर , उसे बना लो मीत।
टीम  हमारी आज है , दुनिया भर  में बेस्ट।
जीते  जिसने अनवरत , सात सात हैं टेस्ट।
पशु  समान  नेता  बिकें, चले नोट का मंत्र।
इक मंडी सा  हो रहा, अपना अब जनतंत्र।
फ्लाप सुपर जो योजना,कहते उसको टाप।
झूठी  शान  बघारते , हिटलर  के   हैं  बाप।
रोज़ सियासत चल रही , अपनी टेढ़ी चाल।
उससे  होता  जा  रहा , जन मानस बेहाल।
राजनीति के  नाम पर, होती  रोज़ अनीति।
दुःख जनता के दूर हों , अब ऐसी हो नीति।
— अब्दुल हमीद इदरीसी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415