बाल कविता

छोटी चिड़िया

एक नन्ही सी छोटी चिड़िया,
चिड़िया के हुए चार बच्चे।
चारो बच्चे बड़े अच्छे अच्छे,
चिड़िया को दाने की तलाश।
बच्चों को खाने की आस,
बहेलिया को चिड़िया की तलाश।
बहेलिया बैठा जाल बिछाये,
चिड़िया को कुछ समझ ना आये।
भूखे बच्चों को खाना कैसे खिलाये,
बच्चे उड़कर जा बैठे जाल में।
चिड़िया बेचारी रोये जाये करे,
भी तो चिड़िया क्या करे इस हाल में।
चिड़िया के बच्चे बोले सुनो सुनो,
मेरे प्यारे प्यारे बहेलिया मामा।
चंदा मामा सबसे प्यारा और चंदा,
मामा से प्यारा बहेलिया मामा।
मीठी मीठी बोली बहेलिया सुनता,
मन ही मन में वो बात ये गुनता।
सब तो मुझे हैं धिक्कारते,
चिड़िया के बच्चे मामा मुझे पुकारते।
फिर बहेलिया खुश होकर,
चिड़िया के बच्चे को छोड़ दिया।
अपने ही जाल का बंधन तोड़ दिया,
मीठी बोली बोलकर काम सभी।
बन जाते हैं चिड़िया के बच्चे हमें,
सुबह सुबह गाकर यही सुनाते।
उनकी बात कभी ना सुनना,
जो हो दुनिया में कान के कच्चे।
जब भी बोलो मीठा बोलो,
बोलो बोल मीठे अच्छे और सच्चे।

— आयुष त्रिपाठी

आयुष त्रिपाठी

भोपाल मध्य प्रदेश