बाल कविता – मेला
नदी किनारे लगा था मेला, सारे बच्चे मिलजुल गये घूमने | धमा-चौकड़ी सबने खूब मचाई, देखा जो हाथी बनाके साथी
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Read Moreदो सप्ताह से अपनी पूरी टीम के साथ नवीन रक्तदान कैंप की तैयारियों में लगा हुआ था. साल में दो
Read Moreमैं कोई पाषाण नहीं जो ठोकर खाकर पड़ी रहूं, न मैं माटी की मूरत हूं जो एक कोने में सजी
Read Moreमुंबई। एक अद्भुत और अविस्मरणीय नजारा था, जब कैंसर पीड़ित तालियां बजा-बजाकर हँस रहे थे, लोटपोट हो रहे थे और
Read Moreअमर शहीदों के लिये,देता हूं संदेश । तुम हो तो हम हैं ‘शरद’,तुम हो तो यह देश।। पुलवामा के वीर
Read Moreलफ्फाज़ी होती रही , हुई तरक़्क़ी सर्द। समझ नहीं ये पा रहे , सत्ता के हमदर्द। अबलाओं पर ज़ुल्म कर,
Read Moreओ३म् सृष्टि के आरम्भ से महाभारत युद्ध पर्यन्त ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद के अनुयायी राजाओं का समूचे विश्व पर चक्रवर्ती
Read Moreकिस मोड़ पे आ के खडी है जिंदगी। ख़्वाबों की लाश लगती है जिंदगी। बिकने लगे हैं सत्य और ईमान
Read Moreओ३म् ऋषि दयानन्द ने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ में प्राचीन भारत में गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का उल्लेख कर उसके व्यापक
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