कविता

ये क्या है प्यार या कुछ और

ये क्या है प्यार या कुछ और

जब से तुम्हारे मासूम चेहरे को देखा
मैं देखता रह गया, क्या जादू हो गया मुझ पर
तुम गोरी नहीं ,लेकिन किसी हूर से कम नहीं ,
सादगी से परिपूर्ण चेहरा तुम्हारा ,
काजल की पतली रेखा आँखों में ,
श्रंगार नहीं करती तुम हो सादगी की मूरत ,
फिर भी तुम्हारे चेहरे में कुछ तो है ,
एक कशिश है तुम्हारे चेहरे में ,
जो मुझे तुम्हारी ओर आकर्षित करती हैं
हम वो लड़कपन की उम्र पार कर गये ,
फिर भी तुम्हारी निर्मल आंखें ,
गुलाबी होठ जो सदा मुस्कुराते रहते ,
तुम्हारी मधुर आवाज खनकती हैं कानों में ,
तुम्हारा दुनिया के दिखावे से दूर रहना ,
तुम्हारी यहीं सादगी मुझे ,तुम्हारे पास लाती हैं ,
तुम वैसी नहीं जैसी और लड़कियां होती हैं ,
तुम्हारी इसी सादगी पर मैं फिदा हूँ ,
ना चाहते हुए भी तुमसे प्यार हो गया ,
तुमको बोलने से डरता हूँ मैं ,
कहीं तुम नाराज़ ना हो जाओ ,
तुम को खोना भी नहीं है,
लेकिन तुम्हारी सादगी पर ,
फिदा हूँ मैं दिल और जान से ,
ये क्या है प्यार या कुछ और …..

@ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।