ब्लॉग/परिचर्चा

कोडिंग के दानिश: जन्मदिन मुबारक आनिश

आज हमारे प्रिय पोते आनिश का जन्मदिन है. इसी जन्मदिन के साथ वह टीन एज में प्रवेश कर रहा है. आज के युग में बच्चों के लिए टीन एज में प्रवेश करना एक विशेष स्थान रखता है. विशेषकर पश्चिमी देशों में, जहां बच्चों का टीन एज में प्रवेश करना उनके स्वावलंबी और आत्मनिर्भर होने का संकेत माना जाता है. सभी टीन एज में प्रवेश करने वाले बच्चों की तरह आनिश भी अपने टीन एज में प्रवेश करने को बहुत उत्सुक है. यहां बच्चे कमाने का काम करने के लिए छोटी उम्र से ही अपने को तैयार करने में जुटे होते हैं और 14 साल के होते ही पढ़ाई के साथ-साथ काम करना शुरु कर देते हैं, भले ही सप्ताह में एक घंटा ही करें. इसके अलावा उन्हें किसी के भी साथ कार में फ्रंट सीट पर बैठने का अधिकार भी मिल जाता है और उन्हें घर में बिना किसी संरक्षक के छोड़ा जा सकता है.

देखा जाए तो आनिश बहुत समय से स्वावलंबी है. किसी भी समय खाना लेने के लिए उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ती. अपनी इच्छा से वह जो खाना चाहता है, गरम करके या ठंडा, जैसा भी खाना हो खा लेता है. आम काटना हो या बटर पोटैटो बनाने हों, वह किसी की सहायता लेना पसंद नहीं करता. ममा के लिए कॉफी बनानी हो, ट्रे में कॉफी और स्नैक्स के साथ ममा के पास ले जाने को उसकी सहर्ष सेवाएं हरदम हाजिर हैं.

मुझे एक मजेदार वाकया याद आ रहा है. कई साल पहले मेरी एक डिजाइनर बिंदी घर में ही कहीं गिर गई थी, जो बहुत ढूंढने पर भी नहीं मिली. एक दिन आनिश को वाशिंग मशीन के पास बिंदी दिखाई दे गई. उसने बिंदी उठाकर चुपचाप मेरे हाथ में रख दी. चुपचाप इसलिए कि एक तो वह आज भी बहुत कम बोलता है, पर उस समय तो उसने बोलना शुरु ही नहीं किया था. दूसरे उसने मन में सोचा होगा, कि बिंदी तो घर में दादी ही लगाती हैं, तो यह बिंदी दादी की ही होगी.

कहते हैं कि जो बहुत कम बोलता है, वह अधिक समझदार होता है, हमें भी ऐसा ही लगता है. 3-4 वर्ष पहले मैं और बहूरानी दोनों बच्चों को लेकर आ रहे थे, तो आनिश बड़े भाई से कह रहा था- ”ममा-पापा ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है, बड़े होकर हम भी एक कंपनी खोलेंगे और ममा-पापा को आराम से आराम करने को कहेंगे.” उसकी तैयारी भी उसने शुरु कर दी है. उसने एक छोटी डिब्बी ले ली थी, जिसमें किसी भी विशेष अवसर मिले हुए डॉलर्स विंटेज कार खरीदने के लिए इकट्ठे करता जाता था, वह डिब्बी भर गई तो बहुत शानदार बड़ा पॉकेट पर्स ले लिया.

एक दिन हमने उसे म्यूजिक क्लास में जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया. न जाने का जवाब उसके पास तैयार था- ”आजकल म्यूजिक क्लास में कोडिंग सिखा रहे हैं. कोडिंग तो मुझे पहले  ही बहुत आती है, बड़ा होकर मैं सबको कोडिंग-डीकोडिंग सिखाऊंगा.

अत्यंत हर्ष की बात है, कि उसने यह काम शुरु भी कर दिया है. अपने कमरे में बैठकर बड़े-से डेस्क कम्प्यूटर पर वह ऑस्ट्रेलिया में पले-बढ़े होने के कारण इंग्लिश में मौलिक गीत लिखता है, म्यूजिक बनाता है और गाकर वीडियो बनाकर परिवार के लोगों को भेजता है. वैसे वह हिंदी भी समझ व बोल लेता है. विभिन्न प्रकार के प्रश्नों से निपटने के लिए कोडिंग-डीकोडिंग अवधारणा और विभिन्न युक्तियों और ट्रिक्स के बारे में भी उसे सब पता है.

अभी कल की ही बात है, उसको जन्मदिन के अवसर पर नई टेबलेट दिलवाई गई. बिना किसी की मदद के उसने नई टेबलेट में सारी सेटिंग करने के बाद कुछ खाने-पीने के बारे में सोचा. वैसे उसके लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है. वह पूरे परिवार का I T Consultant  है. किसी को किसी गेजेट में समस्या आ रही हो, आनिश को आवाज दी जाती है. आजकल के सभी बच्चों की तरह वह तुरंत समझ जाता है कि कुछ करिश्मा करना होगा, ममा से कहता है- ”मैं दो मिनट में आता हूं.” सचमुच में वह कोई की या कोड दबाकर चला जाता है, हम देखते रह जाते हैं. ”बस इतना ही करना था!” हम नेट पर काम करते रहते हैं और अगर हम कुछ लिख रहे होते हैं, तो हमें नेट के जाने का पता ही नहीं चलता. धम-धम की आवाज करते हुए अगर आनिश नीचे आया है, तो पता चल जाता है, कि हमारा नेट गया हुआ है. फिर वही दो मिनट में नेट की कल सीधी कर देता है.

आनिश को बचत का बादशाह भी कह सकते हैं. हम सभी जानते हैं, कि विदेशों में टिशू पेपर का बहुतायत से प्रयोग किया जाता है. जहां एक टिशू पेपर से काम चल सकता है, चार टिशू पेपर्स का प्रयोग किया जाता है, पर मैंने आनिश को आधे टिशू पेपर का प्रयोग करते भी देखा है.

फिलहाल इतना ही लिखकर हम कोडिंग के दानिश पोते आनिश को जन्मदिन मुबारक कह देते हैं. प्रिय आनिश, जन्मदिन मुबारक हो-
”जन्मदिवस की बधाई हो,
खुशियों की शहनाई हो,
उठे नज़र जिस ओर, जिधर भी,
मस्त बहारें छाई हों.”

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कोडिंग के दानिश: जन्मदिन मुबारक आनिश

  • लीला तिवानी

    आज ही भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्रप्रसाद का जन्मदिन भी है. राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था।

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