कहानी

गंगा जमुनी तहजीब

सुबह का समय ! एक रेस्तरां का दृश्य जिसमें बेतरतीब बिछी कुछ मेजों पर बैठे कुछ लोग नाश्ता कर रहे हैं । रेस्तरां में प्रवेश करने की जगह पर एक काउंटर है जहाँ रेस्तरां का मालिक बैठकर सब पर अपनी नजर बनाए हुए है । गंदे से कपड़े पहने दो वेटर मेज के सामने की कुर्सियों पर बैठे नए आये ग्राहकों को उनके पसंद के चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं । काउंटर के ठीक ऊपर दीवार में लगे एक तख्ते पर एक छोटी सी टी वी रखी हुई है जिसपर  समाचार का एक चैनल चल रहा है । समाचारों का दौर समाप्त होकर टी वी पर अब विज्ञापन चल रहा है । नाश्ता करते हुए कुछ लोगों का ध्यान अभी भी टीवी पर बना हुआ है ।
विज्ञापनों के मध्य ही अचानक स्क्रीन पर नीचे चल रही पट्टी पर ब्रेकिंग न्यूज़ दिखने लगता है और कुछ मिनट बाद समाचारों का दूसरा दौर चलने लगता है ! एंकर पुरजोर आवाज में ब्रेकिंग न्यूज़ बताने लगता है ” अभी अभी प्राप्त खबरों के मुताबिक बिहार में गया के नजदीक एक कस्बे में एक शख्स की पिट पिट कर हत्या कर दी गई है ! प्राप्त जानकारी के अनुसार एक विशेष समुदाय से संबंध रखनेवाला वह युवक अपनी ससुराल गया हुआ था जहाँ दूसरे समुदाय के लोगों ने चोरी के शक में उसकी पिट पिट कर हत्या कर दी । वह युवक बार बार खुद को निर्दोष बता रहा था लेकिन ‘ जय श्री राम ‘ के नारे लगाती उन्मादी भीड़ ने उसकी एक न सुनी और वह युवक अपनी जान से हाथ धो बैठा ….…………”
एंकर लगातार इसी खबर पर बना रहा , लेकिन रेस्तरां में मौजूद नाश्ता कर रहे कुछ लोग समाचार देखने में नहीं बल्कि दबी जुबान में आपस में चर्चा करने में मशगूल हो गए थे तो कुछ पूर्ववत निर्विकार बने हुए थे ।
” जय श्री राम ! ” कहने के बाद नाश्ता करते हुए एक युवक गोपाल ने मुस्कुराते हुए अर्थपूर्ण निगाहों से अपने साथी राजू की तरफ देखा और फिर दोनों मुस्कुराते हुए नाश्ता करने में मशगूल हो गए ।
इतनी मार्मिक खबर सुनकर भी उन्हें मुस्कुराते देखकर उनके बगल वाली मेज के सामने बैठा अमर भी बोल पड़ा ,” जय श्री राम ! “
नाश्ता करते हुए दोनों ने चौंककर उसकी तरफ देखा । अमर ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा ,” क्यों ? ठीक कहा न ? “
गोपाल मुस्कुराया  ,” बिल्कुल ! अब तो लगता है वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश में भगवा लहराएगा । “
लेकिन अमर मुस्कुरा न सका  ,” ….सही कह रहे हो भाई ! सच में वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश में भगवा लहराएगा ।  और लहराना भी चाहिए , लेकिन क्या कभी हमने ये भी सोचा है कि इससे हमें क्या मिलेगा ? पूरे देश में भगवा लहराने से क्या हमारी सभी मूलभूत जरूरतें पूरी हो जाएंगी ? रोजी ,रोटी , कपड़ा ,मकान और विकास के साथ ही बिजली ,पानी , सड़क ,परिवहन जैसी अब कोई समस्या नहीं रहेगी ?  उत्तम शिक्षा के लिए उत्तम संस्थान व  अच्छे स्वास्थ्य के लिए बड़े अस्पतालों की अब कोई जरूरत नहीं ? क्या अब मंदिर , मस्जिद , हिन्दू , मुस्लिम , तेरा मेरा और तू तू मैं मैं ही हमारी प्राथमिकता है ?
हम सब हिन्दू हैं और हमें अपने धर्म पर अभिमान है …। ….होना भी चाहिए । ….. स्वतंत्रता दिवस और स्वाधीनता दिवस के पावन मौके पर तुमने यह गीत अवश्य सुना होगा …..’ मजहब नहीं सिखाता , आपस में वैर रखना , हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा …
सारे जहाँ से अच्छा ,हिंदुस्तान हमारा ….’
यह गीत हमारे देश की गंगाजमुनी तहजीब की एक मिसाल है । आजादी की लड़ाई में देश के लिए कुर्बान होने वालों में सभी प्रांत के , सभी जाति धर्म के लोग शामिल थे लेकिन वो हिंदी , मराठी , पंजाबी बंगाली या मद्रासी होने से पहले हिंदुस्तानी थे , भारतवासी थे । अलग अलग जाति धर्म व संप्रदायों में बंटे होकर भी हम सबके अंदर देशप्रेम की एक भावना है जो हमें एकदूसरे से जोड़े रखती है । विविधता में एकता ही हमारी प्रतिज्ञा का सूत्रवाक्य है जो हर भारतीय अक्षरज्ञान करने से पहले अवश्य पढ़ता है । फिर ऐसा क्यों है कि हम कुछ नेताओं के या कुछ कट्टरपंथियों की साजिश का शिकार होकर अपनी ही आत्मा पर दंगे जैसा बदनुमा दाग लगाकर अपने ही जिस्म को घायल कर लेते हैं ? ऐसा इसलिए है क्योंकि हम हिंदुस्तानी भावुक व संवेदनशील होते हैं । जो बात अच्छी या बुरी दिल में बैठ जाए उसके लिए मर मिटने को तैयार रहते हैं और हमारी इन्हीं कमजोरियों का ये नेता आज तक लाभ उठाते आये हैं और ये जो घटना आप अभी देख रहे हो यह उसीका नतीजा है । अरे श्रीराम जी की जय बोल कर बेगुनाहों पर अत्याचार करनेवालों ! पहले श्रीराम जी को जान तो लो , उनको पहचान तो लो ! आज यह कुकृत्य देखकर श्रीराम जी भी बहुत दुःखी हो रहे होंगे  !
……भाइयों ! ये राजनीति और धर्म कर्म अपनी जगह , हम सामान्य लोगों को इससे क्या लेना देना ? हमें तो यही देखना चाहिए कि हमें रोजी रोटी कैसे उपलब्ध होगी , अपने जीवन को कैसे खुशहाल बना सकते हैं ? हमें इन झगड़ों में न पड़कर अपना भला बुरा खुद सोचना होगा तभी हम सुख से जिंदा रह पाएंगे और दे पाएंगे अपनों नौनिहालों को एक बेहतर देश , एक बेहतर भविष्य ! “
कहने के बाद एक पल के लिए अमर ने गोपाल और राजू की तरफ देखा । दोनों बड़े ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे । उसके खामोश होते ही गोपाल बोल पड़ा ,” हां भैया ! तुम ठीक कह रहे हो । नेताओं को उनकी राजनीति और धर्म के ठेकेदारों को उनकी ठेकेदारी मुबारक ! हमें उससे क्या लेना देना ? हमारा देश गंगाजमुनी तहजीब का देश रहा है और रहेगा , इसी में हमारा विकास संभव है ।
आज तो मुझे लगता है कि हम इस सम्प्रदायवाद में इस कदर उलझे हैं कि हमारे हुक्मरानों को देश की गिरती अर्थव्यवस्था का ही ध्यान नहीं है । दिनोंदिन बेकारी बढ़ रही है , लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ रहा है । छोटे मोटे उद्योगों की भी हालत कुछ ठीक नहीं है । कई कंपनियां मंदी की भेंट चढ़ चुकी हैं और उनके कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं । अभी हमारे सुपरवाइजर ने भी ऐसा ही इशारा कर दिया है । हमारी कंपनी में भी कभी भी कर्मचारियों की छंटनी की जा सकती है । जरूरत है हमें सरकार को इन समस्याओं के प्रति आगाह करने की । तुमने बहुत अच्छे से समझाया भैया । तुम्हारा दिल से शुक्रिया ! अब मैं तुम्हारा यह संदेश जन जन तक पहुंचाऊंगा कि हमें अपनी समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करना है न कि व्यर्थ के मुद्दों पर उनका समर्थन कर उनकी राजनीति का शिकार होना है ! ठीक है भैया ! अब हम चलते हैं । फिर मिलेंगे ! ” कहने के बाद गोपाल और राजू दोनों काउंटर पर पैसे देकर रेस्तरां से बाहर निकल गए ।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।