कविता

नववर्ष

अलौकिक अवधारणा से पूर्ण हो नूतन वर्ष की परिकल्पना ,
संदेश प्रेम भरा संसार में हर पल फैलाना तुम ।

नववर्ष की उत्कंठा में पतझड़ को मत भूल जाना तुम ,
सार सम्पूर्ण जीवन का दो पल में मत बिसराना तुम ।

परिवर्तन ही जीवन का अद्भुत सत्य है ,
चंद लम्हों के लिए लक्ष्य अपना मत भूल जाना तुम ।

सर्दी गर्मी बारिश पतझड़ जीवन का ही तो रूप है ,
हँसकर भुला देना कष्टों को उम्मीदों का नया दीप जलाना तुम ।

नए दौर की नई रवायत “काव्य रंगोली” बना संसार सारा ,
बनकर दिए की लौ राह औरों को दिखाना तुम ।

मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा एक ही ईश्वर का नाम है ,
भेदभाव के इस भंवर में खुद को मत उलझाना तुम ।

सीख सको तो सूरज से सीखो अनवरत चलता है ,
हर घर को बिन भेदभाव के रोशन भी वो करता है ।

जीत लेना मंजिलों को ‘वर्षा’ कठिनाइयों से मत हार जाना ,
संघर्ष ही है जीत की सीढ़ी ,हौसला सबका बढ़ाना तुम ।

— वर्षा वार्ष्णेय, अलीगढ़

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017