धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर-144

1.जो चढ़ समय के अश्व पर,साधे लक्ष्य लगाम,
उसी की होती जीत है,उसी का होता नाम.

2.जिंदगी पल-पल ढलती है,
जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती है,
शिकवे कितने भी हों मगर,
जिंदगी फिर भी हंसती ही रहती है.

3.सिलाई मशीन में धागा न डालने पर,
वो चलती जरूर है, पर कुछ सिलती नहीं,
उसी प्रकार जिंदगी में प्यार नहीं डालोगे तो,
जिंदगी चलेगी जरूर, पर रिश्तों को जोड़ नहीं पाएगी.

4.बदल जाओ वक्त के साथ,
या फिर वक्त को बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसे,
हए हाल में चलना सीखो.

5.When you focus on problems,
You will have more problems,
When you focus on possibilities,
You’ll have more opportunities,

6.Nobody can make you happy,
If you aren’t happy inside.

7.There is a great difference in,
HUMAN BEING & BEING A HUMAN.

8.95% problems of life are due to the,
Tone of voice,
It’s not what we say,
It’s how we say,
Just change the tone &
See the change in life!

9.भाग्यशाली वो नहीं होते,
जिन्हें सब कुछ अच्छा मिलता है,
बल्कि वो होते हैं,
जिन्हें को कुछ मिलता है, उसे अच्छा बना लेते हैं.

10.दम नहीं किसी में, जो मिटा सके हमारी हस्ती को,
जंग तलवारों को लगती है, नेक इरादों को नहीं.

11.नीचे गिरे पत्तों पर अदब से चलना जरा,
कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह मांगी थी.

12.हम तो फूलों की तरह,
अपनी आदत से बेबस हैं,
तोड़ने वाले को भी,
खुशबू की सजा देते हैं.

13.आंख के आंसू किसी को नहीं दिखते,
खून की बूंद से लोग यहां चरित्र जान लेते हैं.

14.दीवारें सिर्फ इंसान की और इंसान के लिए ही है,
दिल और परिंदों की कोई सरहद नहीं है.

15.मुट्ठी भर रोकने की खातिर,
उस बंदे ने दरिया बहा दिया.

16.बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के,
न जाने किस बात पर,
सुकून इस बात का था,
न मंदिर का ज़िक्र था न मस्जिद का.

17.प्रतिभा किसी पर आसमान से नहीं बरसती,
वह तो अंदर से जगती है
और उसे जगाने के लिए केवल अच्छा मनुष्य होना आवश्यक है.

18.ख़फ़ा भी करते हैं, वफ़ा भी करते हैं,
अपने प्यार को वे आंखों से बयां भी करते हैं,
ना जाने कैसी नाराज़गी है उनकी हमसे,
हमें खोना भी चाहते हैं और पाने की दुआ भी करते हैं.

19.घायल तो यहाँ हर एक परिंदा है,
मगर जो फिर से उड़ सका वही ज़िंदा है.

20.पतझड़ में सिर्फ पत्ते गिरते हैं,
नजरों से गिरने का कोई मौसम नहीं होता.

21.तबदीली जब भी आती है मौसम की अदाओं में,
किसी का यूँ बदल जाना बहुत याद आता है.

22.कोई रंग नहीं होता बारिश के पानी में,
फिर भी फिजां को रंगीन बना देता है.

23.ताजी हवा में फूलों की महक हो,
पहली किरण में चिड़ियों की चहक हो,
जब भी खोलो तुम पलकें,
उन पलकों में सिर्फ खुशियों की झलक हो.

24.रिश्ते मन से बनते हैं, बातों से नहीं,
कुछ लोग बहुत-सी बातों के बाद भी अपने नहीं बनते,
और कुछ लोग शांत रहकर भी अपने बन जाते हैं.

25.”अवसर” और ”सूर्योदय” में एक समानता है,
कि देर से उठने वाला व्यक्ति इन्हें हमेशा खो देता है.

26.तुम बस उलझे रह गये हमें आजमाने में,
और हम हद से गुजर गये तुम्हें चाहने में.

27.ज़िंदगी करती रही ता-उम्र संजीदा मज़ाक,
जवाब में हम भी ठहाके मारकर रो दिये.

28.उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक है मेरा,
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.

29.कितनी मोहब्बत है तुमसे, कोई सफाई नहीं देंगे,
साये की तरह साथ रहेंगे, पर दिखाई नहीं देंगे.

30.जब दिमाग़ कमज़ोर होता है, तो परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं,
जब दिमाग़ स्थिर होता है, तो परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं,
जब दिमाग़ मज़बूत होता है, तो परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं.

31.ज़िंदगी में हमेशा समझौता करना सीखिए,
क्योंकि थोड़ा-सा झुक जाना किसी रिश्ते को,
हमेशा के लिए तोड़ देने से बहुत बेहतर है.

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर-144

  • लीला तिवानी

    बहुत छोटी-सी पर बहुत सच्ची बात है,
    आपका स्वभाव ही आपका भविष्य है.

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