संस्मरण

संस्मरण : जयमाला

बात उन दिनों की है जब मैं कालेज में पढ़ती थी ! हम आठ लोगों का एक बढ़िया सा ग्रुप था ! वैसे तो हम सब ही बहुत अच्छे थे, पर हमारी एक फ्रेंड “निशा” हमेशा ही दूसरों की मदद के लिए तैयार रहती थी !

कॉलेज खत्म होते ही हमारे दो दोस्तों “गायत्री और विनोद” की शादी तय हो गई ! हम सबकी खुशी का ठिकाना ना था ! सब तैयारियों में जुट गए ! निशा गायत्री की क्लोज फ्रेंड थी, उसने तो मानों शादी की पूरी जिम्मेदारी ही उठा ली थी !

और फिर आया शादी का दिन ! शादी की रस्मों में हम सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे ! जयमाला के समय भी हम सब स्टेज पर ही खड़े थे ! कुछ दोस्तों के कहने पर, विनोद स्टेज पर तन कर खड़ा हो गया था जिससे भारी भरकम कपड़ों और गहनों में लदी गायत्री को वरमाला पहनने में मुश्किल हो रही थी !

अपनी प्रिय सखी को मुश्किल में देख कर निशा यकायक बोल उठी, “वरमाला मुझे दे तूँ, मैं पहना देती हूँ!” इतना सुनना ही था कि आसपास के सब लोग ठहाके मार कर हँस पड़े और बेचारी निशा… बेचारी को हम सबकी शादी में यही सुनना पड़ा “क्यों निशा, वरमाला डालने में मदद करेगी? ”

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed