गीत/नवगीत

लावणी छंद

कितना कुछ दे गया वर्ष यह ,कितना पीछे छूट गया ।
स्मृतियां ही शेष किसी की , भाग्य कहीं पर रूठ गया ।
शीला,सुष्मा ,अरुण जेटली ,मौन हो गए बैनो से ।
गए वर्ष में करी विदाई ,अश्रू पूरित नयनों से ।
मृत्यू भर ले गयी अंक में ।जीवन धागा टूट गया ।
कितना कुछ दे गया वर्ष यह ,कितना पीछे छूट गया।
सम्बन्धों की नैतिकता में ,तिक्त मधुर अहसास हुए ।
परिणय बन्धन बंधे कई मन , खूब हास्-परिहास हुए ।
नए मिले रिश्ते जीवन को ,साथ पुराना छूट गया ।
कितना कुछ दे गया वर्ष यह ,कितना पीछे छूट गया ।
दुर्घटना के क्रूर पाश ने ,जकड़ लिया कुछ अपनों को ।
माँ के आँचल में दुख भरकर ,काल छल गया सपनों को ।
कोई माया जाल बिछाकर , आस भरोसा  लूट गया ।
कितना कुछ दे गया वर्ष यह ,कितना पीछे छूट गया ।
जो भी मान समय का करता ,बस वो ही विद्वान हुआ ।
सही मूल्य जीवन का पाया , उसका ही सम्मान हुआ ।
संघर्षो में तपा नहीं जो ,रह वो केवल ठूंठ गया ।
कितना कुछ दे गया वर्ष यह ,कितना पीछे छूट गया ।
— रीना गोयल ( हरियाणा)

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर