मुक्तक/दोहा

सूरज ग्रहण

बन गया सूरज भी छल्ला, चाँद के प्रभाव से,
आग का गोला छिपा, शीतलता के स्वभाव से|
था कभी देता ऊर्जा, चाँद भी जिससे चमकता,
आज अशक्त सा हो रहा है, चाँद के प्रभाव से|
— अ कीर्ति वर्द्धन