कविता

ना दिख मजबूर

 

रूह की गर्त पर एक नकाब लपेटे हूँ।
टूटे सपनो में अब भी आश समेटे हूँ।।

दुखों की कड़कड़ाती धूप बहुत है।
खुशी की सर्द हवा की उम्मीद समेटे हूँ।।

क्यूँ हुआ तू किनारे , सोचता है क्यूँ भला।
देख पीपल के नीचे रखे भगवान का नजारा,
टूट जाये अगर भगवान की मूरत का कोना,
वो भी पीपल के नीचे,दिखता है मजबूर बड़ा।

फिर से हौशलो को जिंदा करके खुद को बना।
ना दिखे मजबूर तू,अपना एक आशियाँ बना।।

 

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)