धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सतरंगी समाचार कुञ्ज-11

आप लोग जानते ही हैं, कि ‘सतरंगी समाचार कुञ्ज’ में सात रंगों के समाचार हम लिखते हैं, शेष रंगों के समाचार कामेंट्स में आपकी-हमारी लेखनी से लिखे जाएंगे. आइए देखते हैं इस कड़ी के सात रंग के समाचार-

 

1.घोस्ट विलेज यानी भूतों का गांव-
18 साल से किलकारी गायब / जापान के एक गांव में बच्चे पैदा नहीं हो रहे, इनकी कमी पूरी करने के लिए पुतले बना रहे
जापान का एक गांव ऐसा भी है जिसे घोस्ट विलेज यानी भूतों का गांव कहा जाता है। गांव का नाम है नोगोरो। यहां पिछले 18 साल में एक भी बच्चा पैदा नहीं हुआ। 7 साल पहले प्राइमरी स्कूल भी बंद हो गए। बच्चों की कमी पूरी करने के लिए उनके पुतले लगाए जा रहे हैं। खुश रहने और दूसरों को रखने की इस तरकीब की शुरुआत की सुकुमी आयानो ने। 70 वर्षीय आयानो बंद हो चुके स्कूलों की रौनक को पुतलों के जरिए लौटाने की कोशिश कर रही हैं। इन्होंने 40 से अधिक पुतले बनाकर स्कूल में बच्चों की जगह रखे हैं।

 

2.दुर्लभ मछली-
खोज / समुद्र में 3000 फीट नीचे दुर्लभ मछली मिली, यह अपने पंखों को पैरों की तरह इस्तेमाल करती है
वैज्ञानिकों को मैक्सिको की खाड़ी में टॉर्टूगेज आइलैंड के पास समुद्री सतह से 3000 फीट नीचे 50 किलोग्राम की दुर्लभ मछली मिली है। यह अपने पंखों (फिन्स) को पैरों की तरह इस्तेमाल करती है। नेशनल ऑसेनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेसंस के वैज्ञानिकों को यह कामयाबी एक साल के लंबे अभियान के बाद मिली है।

मछली को शेफर्स एंग्लरफिश नाम दिया गया है, इसकी चमड़ी मोटी है। यह अपने समान मछलियों का शिकार करती है। इस मछली को पहली बार 1976 में कोलंबियन तट के पास कैरेबियन समुद्र में देखा गया था। नेशनल ऑसेनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेसंस के ऑशन एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च ऑफिस के मुताबिक, इस क्षेत्र में भूगर्भीय विशेषताओं के कारण जीवों की संख्या बहुत ही कम है। एनओएए ने इस हफ्ते के मिशन का विवरण देते हुए लिखा है, इस अभियान के वैज्ञानिक और प्रबंधक मछली के बारे में बेहतर डाटा एकत्रित कर रहे हैं, ताकि गहरे समुद्रों में प्राप्त जीवों और उनके आवासों की समुचित जानकारी मिल सके।

 

3.अनोखा योगदान-
राजस्थान / जोधपुर की दो महिलाओं ने ट्रेन की पेंट्रीकार में यात्रियों के लिए बनाई रोटियां, बोलीं- ये हमारे किचन जैसी
जोधपुर की महिलाओं का ग्रुप अणुव्रत एक्सप्रेस में रामेश्वरम् और मदुरई की ओर यात्रा पर निकला था। दूरी लंबी होने पर समूह की महिलाओं को कुछ देर बाद बोरियत होने लगी। ट्रेन में हुए समूह की दो महिलाएं डॉ. पूजा राजपुरोहित और मधुर परिहार पेंट्रीकार में पहुंच गईं। वहां रोटी का आटा तैयार था। दोनों ने पेंट्री के सुपरवाइजर से कहा कि हम रोटी बनाना चाहते हैं। आपको भी खिलाएंगे और यात्रियों को भी।

पेंट्रीकार के सुपरवाइजर ने कहा कि आप यात्री हैं, आपकी सेवा करना हमारा काम है। दोनों ने आग्रह किया कि रेलवे यात्रियों के लिए हर तरह की सुविधा जुटा रहा है, उनका ख्याल रख रहा है। ऐसे में हम भी कुछ योगदान दे देंगी और हमारा टाइम भी पास हो जाएगा।

घर में काम करने जैसी संतुष्टि मिली
अनुमति मिलते ही डॉ. पूजा और मधुर ने रोटियां बेलनी शुरू कर दी। डॉ. पूजा का कहना है कि वे लंबे समय बाद ट्रेन में सफर कर रही हैं। ट्रेनें और सुविधाएं बहुत बदल गई हैं। यात्री के लिए ट्रेन घर से कम नहीं, ऐसे में अपने घर में कुछ काम कर लिया तो संतुष्टि मिली।

 

4.अकेलेपन का अनोखा कारण-
रिसर्च / सीमित मात्रा में खाना भी बढ़ा देता है अकेलापन, ऐसे लोग ओरों से मेलजोल भी नहीं बढ़ा पाते
त्योहारों के सीजन में अक्सर घरों में मिठाइयां और तरह-तरह के खाने बनते हैं, लेकिन इस दौरान सीमित मात्रा में खाना खाने वाले लोग खुद को अकेला महसूस करते हैं, क्योंकि वे पसंदीदा पकवान नहीं खा पाते। एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है।

अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर केटलिन वूली के मुताबिक, यह अकेलापन बच्चों और बड़ों दोनों में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि डाइट प्लान के हिसाब से खाना खाने वाले लोग जब भी किसी पार्टी में होते हैं, तो शारीरिक रूप से तो वहां माैजूद होते हैं। लेकिन खाने की टेबल पर दूसरों के साथ बॉन्डिंग नहीं कर पाते। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके मन में यही बात रहती है कि उन्हें एक सीमित मात्रा में कैलोरीज के मुताबिक ही खाना है।

 

5.प्लास्टिक लाओ मुफ्त खाना खाओ
दिल्ली / द्वारका के रेस्टोरेंट की पहल, एक किलो प्लास्टिक के बदले पिज्जा-डोसा, 250 ग्राम में समोसा-चाय
प्लास्टिक के खिलाफ अभियान के तहत अब तक इसके बदले छोटे-मोटे कूपन देने की बात हो रही थी। अब प्लास्टिक के बदले रेस्टोरेंट में खाना भी मिलना शुरू हो गया है। द्वारका में दो फूड कोर्ट ने प्लास्टिक के बदल खाना देना शुरू किया है। रेस्टोरेंट्स ने इसे गारबेज कैफे का नाम दिया है। यह शुरुआत साउथ एमसीडी की अपील पर रेस्टोरेंट्स ने की। एमसीडी इलाके में अन्य रेस्टोरेंट्स में भी ऐसा कराने का प्लान साउथ एमसीडी का है।

एक किलो प्लास्टिक लाओ और खाना खाओ

द्वारका सेक्टर 12 के सिटी सेंटर मॉल और सेक्टर 23 स्थित वर्धमान मॉल में हीरा कन्फैशनर्स ने लोगों को प्लास्टिक के बदले खाना खिलाना शुरू किया है। यह शुरुआत सोमवार से हुई है। दोनों जगह गारबेज कैफे का बैनर लगा है। बैनर पर लिखा है, एक किलो प्लास्टिक लाओ और खाना खाओ, 250 ग्राम प्लास्टिक लाओ और नाश्ता करो। सिटी सेंटर मॉल में 250 ग्राम प्लास्टिक के बदले समोसा-चाय, ब्रेड-पकौड़ा दिया जा रहा है, जबकि एक किलो प्लास्टिक के बदल पिज्जा, डोसा एवं अन्य तरह का खाना खा सकते हैं। हीरा कन्फैशनर्स पर गोल गप्पे भी खाए जा सकते हैं।

 

6.एक पहल ऐसी भी-
मुहिम / महाराष्ट्र के गांव के लोग धार्मिक खर्चों में कटौती करेंगे ताकि बचत से स्कूल को अपग्रेड कर सकें
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के एक गांव ने धर्म और शिक्षा में से शिक्षा को चुनकर मिसाल पेश की है। यहां के ग्रामीणों ने धार्मिक गतिविधियों पर होने वाले खर्च में कटौती कर उस पैसे से स्कूल को बेहतर बनाने का फैसला किया है।

जिला परिषद की सीईओ पवनीत कौर ने बताया, ” पोखरी गांव का एक स्कूल अभी 0.45 एकड़ में है। यहां करीब 240 बच्चे पढ़ते हैं। इस स्कूल परिसर के विस्तार के लिए दो एकड़ जमीन खरीद रहे हैं।” पवनीत ने कहा कि ग्रामीण इस स्कूल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना चाहते हैं।

 

7.दया अपनाओ, लंबा जीवन पाओ-
शोध / दयालु लोगों का जीवनकाल लंबा होता है, भलाई की भावना आपको कई बीमारियों से बचाती है
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) के ‘बेडारी काइंडनेस इंस्टीट्यूट’ के शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि आप दयालु हैं तो आपका जीवकाल लंबा हो सकता है। हकीकत में भलाई करने की भावना आपको खुशी देती है और यही खुशी आपको अनेक बीमारियों से बचाती है।

विवि को मिल चुक हैं 11 नोबेल पुरस्कार
इस विश्वविद्यालय को ग्यारह नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं। इस संस्थान के निदेशक डैनियल फेस्लर ने बताया कि वे शोध में यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आपकी दयालुता देखकर दूसरे लोग किस तरह खुद दयालु बनने के लिए प्रेरित होते हैं। यह कहना ठीक होगा कि अभी हम एक तरह से निर्दयी युग में जी रहे हैं। इस शोध में वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ मनोविज्ञान, जीव विज्ञान में मौजूद सकारात्मक सामाजिक सहभागिता जैसा विषय भी शामिल है। शोध में दुनियाभर के कई विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

 

कुछ फटाफट सुर्खियां-
1.सुविधा / देश की पहली लंबी दूरी की सीएनजी बस सर्विस शुरू, सिंगल रीफिल में 1000 किमी चलेगी

2.जापान / काम के बाद जूनियर को ड्रिंक पार्टी में नहीं बुला सकेंगे अधिकारी, इसे शोषण माना जाएगा

3.सोशल मीडिया / आनंद महिंद्रा ने बिल गेट्स से कहा था, ‘मैं आपकी वजह से बेटी के लिए हारा हुआ इंसान हूं’

4.स्पेन / छात्रों को बेहतर तरीके से समझाने के लिए टीचर ने एनाटॉमी सूट पहना, फोटो वायरल

5.गरीबों का रोटी बैंक: साथ मिलकर सोसायटियां खिला रहीं जरूरतमंदों को खाना

6.किस्मत हो तो ऐसी! केरल के इस शख्स को लॉटरी के पैसों से खरीदे खेतों में मिला खजाना

7.अनाथ बच्चों को थाने में पढ़ा-खिला रहा एक सिपाही

आशा है आपको सतरंगी समाचार की यह कड़ी भी पसंद आई होगी. आप भी कामेंट्स में विभिन्न रंगों के ऐसे अनोखे-रोचक-जागरूकता से ओतप्रोत सकारात्मक समाचार लिख सकते हैं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सतरंगी समाचार कुञ्ज-11

  • लीला तिवानी

    हमारा पहला समाचार है-
    18 साल से किलकारी गायब / जापान के एक गांव में बच्चे पैदा नहीं हो रहे, इनकी कमी पूरी करने के लिए पुतले बना रहे.
    पेड़ों को बेदर्दी से काटने के कारण शायद किसी दिन यह समाचार भी होगा!
    दुनिया से हरियाली गायब / इसकी कमी पूरी करने के लिए पेड़ों के पुतले बना रहे.

Comments are closed.