कविता

जानेवाला साल

जानेवाले साल चला जा ,
आँसू मेरे लेता जा
छिन लिया जो मेरी खुशियाँ
अब तो वापस देता जा
अब ना हों आँखों में आँसू
गम की कोई बात न हो
ऐ दिल अब तू कभी न रोना
अब कोई आघात न हो
जख्म दिए जो तूने दिल को
मरहम भी तो देता जा
जानेवाले साल चला जा
आँसू मेरे लेता जा ….
छिन लिया सुख चैन है मेरा
गायब मेरी निंदिया है
चैन नहीं प्रियतम को भी है
धूमिल हुई अब बिंदिया है
मुख पे उनके बसी उदासी
भी तो अब तू लेता जा
जानेवाले साल चला जा
आँसू मेरे लेता जा ….
लेता हूँ मैं साँस मगर तू
ये ना समझना जिंदा हूँ
हैरां हूँ मैं निज हालत पर
दिल ही दिल शर्मिंदा हूँ
छीन लिया जीवन जो मुझसे
अब तो वापस करता जा
जानेवाले साल चला जा
आँसू मेरे लेता जा …
जाने किस मनहूस घड़ी में
पास तू मेरे आया है
चाँद सी महबूबा है मेरी
तूने जिसको दूर भगाया है
तड़प रहा ज्यूँ जल बिन मछली
अब तो जल बरसाता जा
जानेवाले साल चला जा
आँसू मेरे लेता जा …..
आँसू मेरे लेता जा …
एक हताश प्रेमी के नजरिये से …

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।