मुक्तक
“मुक्तक” बहुत अरमान था दिल में कि इक दिलदार मिल जाए। मेरे इस बाग में भी फूल इक गुच्छदार खिल
Read Moreहर रोज चुपके से भोर की बयार कानों में कुछ कह जाती है खुशबू उसकी सारा दिन महका जाती है।
Read Moreपरमाणु ऊर्जा विभाग से सेवानिवृत्ति के पश्चात् प्रति वर्ष समय के सकारात्मक सदुपयोग हेतु सन्कल्प लेता हूँ। प्रति सप्ताह कम
Read Moreबड़ी मुद्दत के बाद मैंना किसी को अपना बनाया है। मेरे खुदा! मत छीन उसको मेरी दिल की धड़कनों से।
Read Moreनित नई चेतना नव जीवन में आए। मन में हो संयम विपत्ति में न घबराए। काम करनें से पहले बीस
Read Moreदेखो हद हो चली वेशर्मी की भारतीय प्रमाणपत्र मिलने का विरोध भी उमर आया वोट की लालच में जहाँ-तहाँ बंद
Read Moreचलते-चलते वे रुके और अपनी पत्नी को ऊपर चढ़ने का इशारा किया। पत्नी ने पूछा – अच्छा तो हम पहुँच
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