कविता

फुटपाथ

जिंदगी के उतार-चढ़ाव
दो पल खुशी,कुछ तनाव
कठिन समय
मौत का भय
दो वक्त की रोटी
काश! पास होती
उसके लिए जद्दोजहद
छोटी नहीं अपितु वृहद
सांसों के लिए मारामारी
क्या हमारी ! क्या तुम्हारी!
सुविधाएं नहीं हैं
परिश्रम ही सही है
किसी का नहीं इंतजार
विश्वास से है हमारा प्यार
संभालेंगी हमें माँ धरती
हर रोज हमसे बात करती
विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं डरती
जिंदगी कुछ यूं फुटपाथ पर सजती-संवरती

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733