कविता

शाद

कुछ कहना चाहती हूं,
कि दिल मेरा शाद है
लब खोलना चाहती हूं,
यह अब तो आज़ाद है
जो राह चुनी मैंने कभी..
वह ख्वाबों से आबाद है
यूं चले सफर अपना,
इतनी फरियाद है
दैर हो या हरम हो,
अमन बुनियाद है
पुरसुकून ना हो गर,
जिंदगी बर्बाद है
मेरे संग था औ’ संग है..
जो रंग मेरे बाद है
— प्रियंका अग्निहोत्री ‘गीत’

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी