गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

दिल की गिरह में ….

दिल की गिरह में जो दबी सी थी।
याद शायद वो आपकी सी थी।।

कच्चे आँगन में यारियाँ पक्की।
ज़िन्दगी वो ही ज़िन्दगी सी थी।।

तेरे घर की वो राह पथरीली।
पैर कहते हैं मखमली सी थी।।

चाहे जुगनू या फिर शमा जैसी।
जैसी भी थी वो रोशनी सी थी।।

जाने दुनिया में कैसे फैल गई।
बात तो अब भी अनकही सी थी।।

धुंध में राह सूझती ही नहीं।
सुबह भी जैसे रात ही सी थी।।

दर से तेरे चले तो चल ही दिए।
इतनी गैरत तो लाज़िमी सी थी।।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा