गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

खुद को तुम समझाकर तो देखो
दर्द में भी मुस्कुराकर तो देखो

जरूरतें हो जाएंगी कम तेरी भी
ईमानदारी से कमाकर तो देखो

बढ़ जाएगा एक और दुश्मन
किसी को आईना दिखाकर तो देखो

सीख जाओगे दलाली भी करना
तुम पत्रकार बनकर तो देखो

हो जाएगी मोहब्बत मिट्टी से
कुल्हड़ में चाय पीकर तो देखो

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:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com