कविता

कविता- पतझड़ और जिंदगी

पतझड़ में बहार ही बहार है
चाय की मीठी चुस्कियां
गर्म पकोड़ो का बयार है,
ठंड की सर्द झोकों में
उम्मीद की किरण जगती
आसमा के झरोखों में,
जिंदगी भी पतझड़ से हो गई
टूटकर सपने बिखरे
इरादे ना जाने कहां खो गई,
उम्मीद पतझड़ के बाद
बसंत का बयार है,
बस उस पल का इंतजार है।।
— अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल as223107@gmail.com indabhi22@gmail.com