कविता

मेरे सपनों का भारत

मेरे सपनों का भारत कहां होगा
लुटते अस्मिता नारी का देखा
ज्वाला बहती चिंगारी का देखा,
मानवता को गिरते देखा
उजाले को घिरते देखा,
मेरे सपनों का भारत कहां होगा
कृषि प्रधान देश का नाम है
कृषक को आत्महत्या करते देखा,
बदनाम गिरगिट रंग बदलने में
माहिर नेताओं को इसमें देखा,
मेरे सपनों का भारत कहां होगा
स्वतंत्रता नाम है संविधान की
आम आदमी को घुटते देखा,
महापुरुषों के नाम पर
राजनीति को लूटते देखा,
युवाओं की बात होती है
बेरोजगारी में जलते देखा,
मेरे सपनों का भारत कहां होगा।।
— अभिषेक कुमार शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल as223107@gmail.com indabhi22@gmail.com