गीतिका/ग़ज़ल

क्या गजब किया

क्या गजब किया ये क्या हूजूर हो गए

मतलब में पास पास थे अब दूर हो गए

जब काम था मुझसे तो बड़े सीधेसादे थे

जाने कहां से मन में ये गुरुर हो गए

पहले तो दिल था आपका कि जैसे मोम हो

फिर क्यों भावानाएं इतने क्रूर हो गए

आपसे मिली थी जो दिल को थी राहत

अब जख्म दिया ऐसा कि नासूर हो गए

न कोई गलतफहमी थी न शिकवा न गिला

कुछ तो कपट मन में जरुर हो गए

अब सोचता हूं रातभर ये जाग जागकर

कि जाने अंजाने क्या कसूर हो गए

कभी पास पास रहने में आता था मजा

दिल को क्यों ये दूरियां मंजूर हो गए

पास थे तो देखे थे जो सपने सुहाने

सपने वे टूटकर के चूर चूर हो गए

पहले तो मुझको कोई भी जानता न था

रूसवाईयों से आपकी मशहूर हो गए

 

विक्रम कुमार

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