मुक्तक/दोहा

मुक्तक

टीस किसी बेबस की जिस दिन
निज मन में महसूस करोगे
उस दिन एक नया सा जीवन
जीवन में महसूस करोगे।
त्याग मुखौटे आड़म्बर के
जिस दिन ख़ुद से मिल लोगे तुम
रब को बैठा अपने मन के
आँगन में महसूस करोगे।।

और किसी की बात न सुनकर
अपने मन की बात करेगा
होकर मद में चूर व्यक्ति जो
मैं ही मैं दिन रात करेगा।
निश्चित ही अपनी करनी पर
पछताएगा एक दिवस जो
तोड़ेगा विश्वास किसी का
सम्बंधों से घात करेगा।।

शोक तमस भय में जीते हैं
जिनके मन में छल होता है
जो सच्चाई के साधक हैं
उनका कल उज्जवल होता है।
देता है जग का संचालक
कर्मों के अनुसार सभी को
यश अपयश उत्थान पतन सब
कर्मों का प्रतिफल होता है।।

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.